अडानी प्रोजेक्ट के चलते कैसे एक साथ आए कट्टर विरोधी भाजपा और माकपा, मछुआरों के खिलाफ खोला मोर्चा…

केरल में इस समय बड़ा ही दिलचस्प विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इसके चलते दो विरोधी दल भाजपा और सीपीआई (एम) एक मंच पर दिखाई दे रहे हैं।

दोनों दलों के साथ आने की वजह बनी है अडानी ग्रुप की विझिनजाम बंदरगाह परियोजना, दरअसल सीपीआई (एम) ने केरल में संघ परिवार के खिलाफ अपनी घोषित लड़ाई से ब्रेक लेते हुए अडानी समूह के समर्थन में भाजपा से हाथ मिलाया है।

विझिनजाम इंटरनेशनल सीपोर्ट लिमिटेड (वीआईएसएल) के खिलाफ चल रहे मछुआरों के विरोध के खिलाफ भाजपा और माकपा एक साथ हाथ आए हैं।

तिरुवनंतपुरम के लैटिन कैथोलिक सूबा के तत्वावधान में मछुआरे, पिछले 105 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।

वे मांग कर रहे हैं कि 7,500 करोड़ रुपये के समुद्री बंदरगाह निर्माण परियोजना को निलंबित कर दिया जाए।

मछुआरों का तर्क है कि परियोजना के चलते तट पर बड़े पैमाने पर कटाव हुआ है। इससे उनकी रोजी-रोटी और आवास छीना जा रहा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को माकपा के जिला सचिव अनवूर नागप्पन और भाजपा जिलाध्यक्ष वी.वी. राजेश ने स्थानीय लोगों की एक समिति विझिनजाम पोर्ट एक्शन कमेटी के बैनर तले रैली की।

ये कमेटी परियोजना को तेजी से पूरा करने की मांग कर रही है। मछुआरों के आंदोलन के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों की यह समिति आमने-सामने की स्थिति में है। मछुआरों के विरोध के चलते बंदरगाह का निर्माण कार्य रुका हुआ है। 

तिरुवनंतपुरम के लैटिन कैथोलिक सूबा के तत्वावधान में मछुआरे, पिछले 105 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।

वे मांग कर रहे हैं कि 7,500 करोड़ रुपये के समुद्री बंदरगाह निर्माण परियोजना को निलंबित कर दिया जाए।

मछुआरों का तर्क है कि परियोजना के चलते तट पर बड़े पैमाने पर कटाव हुआ है। इससे उनकी रोजी-रोटी और आवास छीना जा रहा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को माकपा के जिला सचिव अनवूर नागप्पन और भाजपा जिलाध्यक्ष वी.वी. राजेश ने स्थानीय लोगों की एक समिति विझिनजाम पोर्ट एक्शन कमेटी के बैनर तले रैली की।

ये कमेटी परियोजना को तेजी से पूरा करने की मांग कर रही है। मछुआरों के आंदोलन के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों की यह समिति आमने-सामने की स्थिति में है। मछुआरों के विरोध के चलते बंदरगाह का निर्माण कार्य रुका हुआ है। 

मछुआरों के आंदोलन पर बीजेपी ने भी ऐसा ही रुख अपनाया है। कुछ दिन पहले, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा था कि जिन ताकतों ने तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, वे ही विझिनजाम का विरोध कर रहे हैं।

कुडनकुलम विरोध का नेतृत्व तूतीकोरिन के लैटिन कैथोलिक सूबा द्वारा किया गया था।

विझिनजाम तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जहां बीजेपी का बड़ा दांव है। पिछले कई चुनावों में कांग्रेस के शशि थरूर की इस सीट पर बीजेपी उपविजेता रही थी।

भले ही भाजपा केरल में ईसाई समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन पार्टी ने कभी भी तटीय ईसाई समुदाय की चिंताओं को विझिनजाम के साथ साझा करने की जहमत नहीं उठाई और न ही मछुआरों के करीब जाने की कोशिश की, जो परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोटर हैं।

राज्य सरकार द्वारा 2015 में अडानी के साथ बंदरगाह समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले ही, राज्य की राजधानी में हिंदू संगठनों ने इसे एक सामुदायिक मुद्दा बनाने की कोशिश की थी।

तब, फिल्मस्टार सुरेश गोपी, जो अब भाजपा सांसद हैं, ने खुले तौर पर कहा था कि हिंदुओं को जागना चाहिए और बंदरगाह को एक हकीकत बनाने के लिए एक साथ आना चाहिए।

माकपा के जिला सचिव अनवूर नागप्पन ने कहा कि मछुआरों का आंदोलन राज्य सरकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “सरकार मछुआरों की सभी उचित मांगों को मान लेगी, लेकिन बंदरगाह के निर्माण को रोका नहीं जा सकता है। आंदोलनकारी प्रोजेक्ट जोन में तनाव पैदा करना चाहते थे, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। यह विरोध मछुआरों के लिए नहीं है। जो लोग इसका नेतृत्व कर रहे हैं उनके अन्य निहित स्वार्थ हैं।”

भाजपा नेता वी.वी. राजेश ने कहा कि पार्टी का स्टैंड है कि परियोजना को पूरा किया जाना चाहिए, क्योंकि यह केंद्र सरकार की योजना है।

उन्होंने कहा, “स्थानीय एक्शन कमेटी में सभी दल के सदस्य सदस्य हैं। मछुआरों के आंदोलन ने एक गांव की घेराबंदी कर दी है, जिससे उनके आंदोलन से उनका ही जीवन प्रभावित हुआ है। भाजपा चाहती है कि राज्य सरकार हस्तक्षेप करे और इसे खत्म करे।”

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