पीएम बनने के बाद ऋषि सुनक का पहला बड़ा यू-टर्न, अब COP27 में होंगे शामिल…

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने के बाद ऋषि सुनक ने बुधवार को पहला बड़ा यू-टर्न लिया। सुनक ने पहले मना करने के बाद अब कहा है कि वे जलवायु सम्मेलन में भाग लेंगे।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री अगले सप्ताह मिस्र में होने वाले COP27 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। सुनक ने ट्विटर पर लिखा, “जलवायु परिवर्तन पर एक्शन लिए बिना कोई दीर्घकालिक विकास नहीं हो सकता है। अक्षय ऊर्जा में निवेश किए बिना कोई ऊर्जा सुरक्षा नहीं हो सकती।”

उन्होंने कहा कि वह “एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के निर्माण की ग्लासगो की विरासत को आगे बढ़ाने” के लिए शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। 

बता दें कि ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में पिछले साल सीओपी26 जलवायु सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज का 26वां सालाना सम्मेलन) आयोजित किया गया था।

इस दौरान कई वादे किए गए थे। दुनिया के 40 से अधिक देशों ने 2050 तक कोयले का उपयोग बंद करने का वादा किया था।

यहां कहा गया था कि दुनिया के पास अभी भी ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बुरे प्रभावों को टालने का मौका है।

सुनक का कहना है कि वे इन्हीं वादों के साथ आगे बढ़ने को तैयार हैं। जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी27) मिस्र के शर्म अल-शेख में छह नवंबर से 18 नवंबर के बीच आयोजित होगा। 

जलवायु सम्मेलन में शामिल नहीं होने के सुनक के फैसले की हो रही आलोचना

बता दें कि इससे पहले सुनक ने मिस्र में होने वाले आगामी जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था।

सुनक के फैसले और सरकार द्वारा महाराजा चार्ल्स तृतीय को इसमें शामिल होने से रोकने की दुनिया भर में कई लोगों ने आलोचना हो रही है।

आलोचकों का आरोप है कि सुनक जलवायु संकट से निपटने के संबंध में ब्रिटेन की प्रतिबद्धता से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि विभिन्न प्रतिबद्धताओं के कारण प्रधानमंत्री सुनक के मिस्र में आयोजित जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद नहीं है।

बयान में कहा गया था कि ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व अन्य वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा किया जाएगा जिसें सीओपी26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा भी शामिल हैं।

सीओपी27 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रही मिस्र की सरकार ने सुनक के फैसले पर “निराशा” जतायी थी।

गार्डियन समाचार पत्र ने रविवार को अपनी एक खबर में कहा कि सीओपी27 वार्ता में शामिल नहीं होने के सुनक के फैसले और महाराजा चार्ल्स तृतीय को सम्मेलन मे भाग लेने से रोके जाने से दुनिया भर के देशों में नाराजगी है। 

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