छत्तीसगढ़; धमतरी: जिले की रेत खदानें यातायात के अधिकारियों के लिए बनी जैकपॉट…. नो एंट्री में भी एंट्री! पढ़ें पूरी ख़बर…

सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक- छत्तीसगढ़): धमतरी- शहर की बिगड़ी यातायात व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है, और इस बिगड़ी व्यवस्था का असली जिम्मेदार खुद यातायात विभाग है! गौरतलब हो कि शहर समेत जिले की सड़कों में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं में बेगुनाह राहगीरों की जानें जा रहीं हैं, बीती रात भी शहर के अंदर बठेना बस्ती के सामने एक महिला ने सड़क हादसे में अपनी जान गंवा दी, वहीं कल ही एक बस कंडक्टर की चलती बस से गिरने से मौत हो गई है लेकिन यहां यातायात विभाग की कान में जूं तक नहीं रेंग रहा!

मिली जानकारी के अनुसार शहर के अंदर सुचारू यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी यातायात विभाग के 1 डीएसपी, 1 प्रभारी, 4 एएसआई, 8 प्रधान आरक्षक, 25 आरक्षक और 1 सैनिक के ज़िम्मे है।

जिनमे से आरक्षक तो अपनी ड्यूटी पूरी मुस्तैदी से निभा रहे हैं, लेकिन कुछ प्रधान आरक्षक और आला अधिकारियों की मेहरबानी से यातायात व्यवस्था के नाम पर मोटी रकम की उगाही की जा रही है।

यातायात के कुछ अधिकारी कर्मचारी अपनी जेबें भरने और चालान काटने के नाम पर धड़ल्ले से वसूली में लगे हुए हैं। 

वसूली और चालान काटने का ताजा मामला शुक्रवार सुबह 10 बजे के आसपास शहर के अलग अलग चौकों में देखने मिला जहां, नो एंट्री के बावजूद लगातार रेत से भरी हाइवा का शहर के अंदर से गुजर हो रहा था, तभी कुछ हाइवा चालकों से पूछा गया कि ने एंट्री में आप कैसे शहर के अंदर से गुज़र रहे हों, तो चालक ने बताया कि साहब से बात हो गई है पिछले चौक में मिले थे उन्होंने जाने बोला तो हम निकल रहे हैं! 

ये सुन जब प्रतिनिधि दानीटोला चौक में चेकिंग प्वाइंट पर पहुंचा तो उसे देख यातायात का एक एएसआई और कुछ कर्मी दिखावे के लिए चालान काटने का ढोंग करने लगे, इतना ही नहीं चालान काटकर उन गाड़ियों को शहर के अंदर से जाने की अनुमति भी देते दिखे।

जब प्रतिनिधि द्वारा उनसे सवाल किया गया कि ये तो नो एंट्री का उल्लंघन है, तब मजबूरन 7-8 हाइवा का चालान काट उन्हें शहर के अंदर से गुजरने से रोका गया। जबकि इससे पहले निकली सभी हाइवा से 3 से 500 रुपए लेकर उन्हें छोड़ा जा रहा था। 

अति विश्वसनीय सूत्र के मुताबिक रेत खदानों से निकलने वाली हाइवा व ट्रकों से रोजाना लगभग 30 से 50 हजार तक की वसूली की जा रही है! ऐसे में कहा जा सकता है कि जिले की रेत खदानें इनके लिए जैकपॉट साबित हो रहीं हैं।

ये सभी को मालूम है कि नो एंट्री का मतलब है उस समयांतराल में जिन वाहनों को प्रतिबंधित किया गया है उनकी आवाजाही सख्ती से बंद हो, लेकिन आती लक्ष्मी किसे बुरी लगती है?

शहर में नो एंट्री का आदेश जिले के कलेक्टर समेत एसपी ने जारी किए हैं, क्योंकि शहर की सड़कों में हो रहे हादसों को रोका जा सके, लेकिन यातायात विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारी कलेक्टर-एसपी के आदेश को भी ताक में रखकर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने हादसे हो रहे हैं, कितनों की जानें जा रहीं हैं!  यह सब देख शहर की जनता में रोष पनप रहा है।

वहीं कुछ सामाजिक व राजनैतिक संगठन फिर एक आंदोलन की तैयारी में नजर आ रहे है।

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