कृषि मंत्री के गृह जिले (बेमेतरा) में 33 करोड़ खर्च कर बनाए 334 गौठानों की स्थिति खराब, चारा न पानी, मवेशी भी नहीं…

छग सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी के तहत ग्राम पंचायतों में गौठान बनाए गए हैं।

लेकिन कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के गृह जिले में ही करीब 33 करोड़ रुपए से बने 334 गौठानों की स्थिति बदहाल है।

ज्यादातर गौठानों में चारा- पानी नहीं है। इस वजह से यहां मवेशी भी नहीं रहते हैं। जिन गौठानों के निर्माण की बात सरकारी नुमाइंदे करते हैं, वे केवल कागजों में संचालित हो रहे हैं।

पिछले दिनों सरदा में 7 और रवेली के गौठान में 5 मवेशियों की बीमारी के कारण मौत हुई थी। इससे पहले सोढ़ और खजरी स्थित गौठानों में भी गायें मरी थीं।

अफसरों ने तो मामला दबा दिया। दैनिक भास्कर ने रियलिटी चेक में पाया कि जिले में 40.25 करोड़ रुपए से स्वीकृत 396 गौठानों में 394 गौठान ही बन पाए हैं।

इनमें भी सिर्फ 312 गौठानों में गोबर की खरीदी हो रही है। वहीं अफसरों की मानें, तो सिर्फ 192 गौठानों में महिला समूह की ओर से विभिन्न गतिविधियां संचालित हैं। शेष निष्क्रिय हैं। गौठानों की स्थिति और यहां बदइंतजाम की हकीकत को आप भी जानिए…

ग्रामीण औद्योगिक पार्क- 2-2 करोड़ मंजूर, काम शुरू नहीं
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने रीपा योजना के तहत ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाने के लिए 2- 2 करोड़ रुपए स्वीकृत हैं।

औद्योगिक पार्क बनाने एक जनपद क्षेत्र के 2- 2 ग्राम पंचायतों का चयन किया है। इनमें बेमेतरा जनपद से ग्रापं झाल और गंगापुर (ब), साजा जनपद के ग्रापं राखी व ओड़िया, बेरला जनपद के ग्रापं भाड़ व साकरा, नवागढ़ जनपद के ग्रापं मोहतरा व अमलीडीहा शामिल हैं।

इन ग्राम पंचायतों में कड़कनाथ मुर्गी पालन, वेल्डिंग वर्कशॉप, बीज उत्पादन, उन्नत मत्स्य बीज संवर्धन, हैंडमेड पेपर निर्माण, जैविक न्यूट्रिएंट निर्माण व अन्य तरह की गतिविधियों का संचालन किया जाना है।

योजना को अप्रैल 2023 तक पूरा किया जाना है। इसके लिए तकनीकी लेआउट संबंधी कर्य जनपद से होना बाकी है। चयनित पंचायतों में फिलहाल गतिविधियां शून्य हैं।

33 गौठानों के लिए जमीन तक नहीं ढूंढ पाए अफसर
जिला पंचायत के मुताबिक जिले में फरवरी 2019 में 396 गौठान स्वीकृत हुए। प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण में स्वीकृत कार्यों के विपरीत अब तक 334 गौठान ही पूरे हुए हैं।

शेष 62 गौठान अधूरे हैं। वहीं 33 प्रस्तावित गौठान ऐसे भी हैं, जिन्हें बनाने के लिए अफसर जमीन तक नहीं ढूंढ सके हैं।

इन गौठानों की गतिविधियां और आय-व्यय की भी कोई खास जानकारी जिला पंचायत में नहीं है।

गौठानों का संचालन कृषि विभाग की जिम्मेदारी
मामले में जिपं सीईओ लीना मंडावी ने कहा कि गौठानों का संचालन प्रशासकीय तौर पर कृषि विभाग की जिम्मेदारी है।

जिपं केवल नरेगा के तहत राशि स्वीकृत करती है। चूंकि गौठानों में महिला समूहों की सहभागिता है, इसलिए जिपं से इसकी मॉनिटरिंग की जाती है।

स्वीकृत कुल गौठानों में से 334 का निर्माण हो चुका है। 312 गौठानों में गोबर खरीदी की जा रही है। 62 गौठान निर्माणाधीन हैं।

गौठानों की बदहाली, इन 3 केस से समझिए

1. मवेशी नहीं, गौठान में सिर्फ सड़क का मलबा- स्थान- ग्राम पंचायत सैगाेना: ग्राम पंचायत सैगोाना में 5 एकड़ क्षेत्र में गौठान निर्माण किया गया है। इसे बनाने में करीब 7 लाख रुपए की लागत आई है। लेकिन यहां मवेशी नहीं ठहरते हैं। क्योंकि गौठान में चारा- पानी की व्यवस्था नहीं है। गौठान परिसर उबड़- खाबड़ है।

2. टंकी बनाई पर पानी नहीं, सोलर प्लेट गायब- स्थान- ग्राम पंचायत ढोलिया: ग्राम पंचायत ढोलियो में करीब 5 एकड़ में गौठान निर्मित है। इस गौठान की हालत भी खराब है। शेड अस्त- व्यस्त है। मवेशियों को पानी की सुविधा देने बनी टंकी (कोटना) सूखा पड़ा है। क्योंकि सौर पंप ऊर्जा बंद पड़ा है। इसके सोलर पैनल गायब हो गए हैं। पानी के अभाव में मवेशी यहां नहीं आते हैं।

3. सूना गौठान, फेंसिंग तार कई जगह टूटे हुए- स्थान- ग्राम पंचायत धनगांव: ग्राम पंचायत धनगांव में भी गौठान का निर्माण किया गया है। गौठान परिसर के चारों ओर फेंसिंग तारों का घेरा है, जो कई जगह टूट- फूट गया है। मवेशियों के न रहने से गौठान सूना पड़ा रहता है। सफाई का अभाव है। इसका संचालन महीनों से बंद है, जिसके कारण यह अनुपयोगी है।

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