2023 में कितने दिन बंद रहेंगी आदालतें? यहां देखें सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों की पूरी लिस्ट…

 केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में अदालतों में होने वाली लंबी छुट्टी को लेकर संसद में सवाल उठाया था।

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि कोर्ट में होने वाली लंबी छुट्टी के कारण न्याय की मांग करने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है।

हालांकि, सरकार की चिंता के विपरीत चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 17 दिसंबर से 1 जनवरी तक के लिए छुट्टी की तो घोषणा की ही।

साथ ही यह भी कहा कि इस दौरान कोई बैंच नहीं रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच जारी तकरार के बीच आइए जानते हैं कि 2023 के लिए सुप्रीम कोर्ट का कैलेंडर कैसे रहने वाला है।

अगले साल कोर्ट में कितनी छुट्टियां होने वाली हैं। आपको बता दें कि नए साल की शरुआत छुट्टी के साथ ही हो रही है।

एक जनवरी को अदालतें बंद रहने वाली हैं। दो जनवरी से ही कामकाज शुरू होगा। आपको बता दें कि गर्मी छुट्टी को मिलाकर साल में सुप्रीम कोर्ट में 94 दिनों की छुट्टी होती है।

साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली छुट्टियों की लिस्ट:
एक जनवरी- 1 दिन
26 जनवरी- 1 दिन
होली (6-11 मार्च)-  6 दिन
रामनवमी- (30 मार्च)- 1 दिन
स्थानीय अवकाश (31 मार्च)- 1 दिन
स्थानीय अवकाश (3 अप्रैल)- 1 दिन
महावीर जयंती (3 अप्रैल)- 1 दिन
गुड फ्राइडे (7 अप्रैल)- 1 दिन
ईद-उल-फितर (22 अप्रैल)- 1 दिन
बुद्ध पूर्णिमा (5 मई)- 1 दिन
गर्मी छुट्टी (22 मई से 2 जुलाई)- 43 दिन
मुहर्रम (29 जुलाई)- 1 दिन
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)- 1 दिन
रक्षा बंधन (30 अगस्त)- 1 दिन
जन्माष्टमी (7 सितंबर)- 1 दिन
गणेश चतुर्थी- (19 सितंबर)- 1 दिन
ईद-ए-मिलाद (28 सितंबर)- 1 दिन
स्थानीय अवकाश (29 सितंबर)- 1 दिन
गांधी जयंती- (2 अक्टूबर)- 1 दिन
दशहरा (23-28 अक्टूबर)- 6 दिन
दिवाली (13-18 नवंबर)- 6 दिन
गुरुनानक जयंती (27 नवंबर)- 1 दिन
क्रिसमस और नए साल की छुट्टी (18 दिसंबर 2023 से 1 जनवरी 2024)- 15 दिन

आपको बता दें कि जजों की छुट्टियों को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं।

हालांकि पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने इन सवालों को खारिज कर करते हुए कहा था कि समाज में यह गलत धारणा है कि जज बहुत ज्यादा छुट्टी लेते हैं और एंजॉय करते हैं।

उन्होंने इसी साल जुलाई में रांची में एक लेक्चर में कहा था कि जज कई बार पूरी-पूरी रात जगते हैं और अपने फैसलों के बारे में विचार करते हैं। 

वहीं, बीते साल नवंबर में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयंत नाथ ने भी कहा था कि यह धारणा गलत है कि जजों को स्कूलों की तरह छुट्टियां मिलती हैं।

उन्होंने यह भी कहा था कि हमें कठिन मेहनत करनी होगी ताकि यह धारणा बदली जा सके। उन्होंने कहा था कि यह बात सही है कि अदालतों में लंबे वक्त से तमाम केस पड़े हैं।

दुर्भाग्य से लोग मामलों के निपटारों में देरी के लिए अदालतों को जिम्मेदार मानते हैं। 

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