छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मात्र 100 बिस्तर का कोविड अस्पताल उसमें भी बच्चों के लिए पीआईसीयू नहीं, कोरोना से “जंग की अधूरी तैयारी”…

कोरोना की चौथी लहर को लेकर विदेशों में गंभीर हालत बन गए हैं। बीएफ-7 वायरस ने चीन, जापान जैसे अग्रणी देशों में तबाही मचा दी है।

फिर भी स्वास्थ्य विभाग इसे हल्के में ले रहा है। क्योंकि पहली लहर से जंग के लिए जुनवानी के निजी अस्पताल में 120 बेड, दूसरी और तीसरी लहर के लिए कचांदुर चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में क्रमश: 495 बेड और 845 बेड का डेडिकेटेड अस्पताल तैयार कराया था।

अब चौथी लहर से जंग के लिए टाउनशिप में सिर्फ 100 बेड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया है। उसमें भी पहले की लहरों में बनाए गए गंभीर बच्चों के इलाज के लिए पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) नहीं है। यहां भर्ती किए जाने वाले कोरोना पॉजीटिव बच्चों का इलाज भी बड़ों की तरह होना है।

यही नहीं कचांदुर के डेडिकेटेड अस्पताल को शिफ्ट करने से टाउनशिप का जंबो कोविड सेंटर को 54 वेंटिलेटर, 19 एनएनएसी, 30 सिरिंज पंप और 7 बाई पैप की सुविधा वाला अस्पताल तो बन गया है, लेकिन इन मशीनों को चलाने के लिए रेगुलर एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं है। इतनी संख्या में वेंटिलेटर जिले के किसी भी निजी अस्पताल में नहीं है।

दान में मिला ऑक्सीजन प्लांट अब तक इंस्टॉल नहीं

कोरोना की दूसरी लहर के बाद पीएमओ के साथ ही अन्य समाजसेवी संस्थाओं से दान ऑक्सीजन प्लांट मिले थे। कुछ प्लांट को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने खुद खरीदा था। इन सभी प्लांट में 6 ऑक्सीजन प्लांट को पांच अस्पताल क्रमश: दुर्ग, सुपेला, झीठ, पाटन में इंस्टाल करा दिया गया है। दान में मिला एक प्लांट आज भी जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में इंस्टालेशन की बाट जोह रहा है।

5 अस्पतालों में ऑक्सीजन सुविधा, लेकिन इलाज नहीं

सेंट्रल ऑक्सीजन की सप्लाई के साथ ही हवा से मेडिकल ऑक्सीजन बनाना वाला प्लांट सीएम मेडिकल कॉलेज को छोड़ जिले के 4 अस्पतालों में लगा है। इन चारों अस्पतालों में जिला अस्पताल दुर्ग, सिविल अस्पताल सुपेला, सीएचसी पाटन और सीएचसी झीठ का अस्पताल शामिल है। लेकिन कोई भी काेविड का डेडिकेटेड अस्पताल नहीं है। ट्रामा व डिलिवरी की सुविधा है।

जिला अस्पताल में नहीं बन पाया आइसोलेशन वार्ड

भारत सरकार से तीसरी लहर के दौरान ही हर जिला अस्पताल में 30 बेड का दो आइसोलेशन वार्ड बनाने धन राशि दी गई थी। जिला अस्पताल में जगह नहीं मिलने के कारण इसकी बुनियाद रखने में देरी हो गई, जिससे अब तक तैयार नहीं हो पाया है। जबकि इसे संभावित चौथी लहर से पहले तैयार करना था। इसी तरह का एक आइसोलेशन वार्ड सुपेला में बन गया है। जिसके लिए इक्यूपमेंट की मांग हुई है।

आज जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में मॉक ड्रिल

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार मंगलवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में चौथी लहर से जंग के लिए मॉक ड्रिल करेंगे। इस दौरान सभी जीवनदायिनी उपकरणों को पुन: संचालित करेंगे। टाउनशिप के जंबो कोविड सेंटर में डमी मरीज को पूरे प्रोटोकॉल के साथ भर्ती करेंगे। ट्राएज एरिया से लेकर वार्ड में इलाज व डिस्चार्ज तक प्रोटोकाल को चेक किया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. जेपी मेश्राम ने सभी प्रभारियों को निर्देश दिए हैं।

इससे खामियों का पता चलेगा, उसे शीघ्र दूर करेंगे

डॉ. जेपी मेश्राम, सीएमएचओ, दुर्ग ने कहाकोरोना की चौथी लहर से जंग की तैयारियों का परीक्षण करने के लिए ही मॉक ड्रिल कराई जा रही है। मॉक ड्रिल से हमें अपने गैप की जानकारी मिल जाएगी। शीघ्र से शीघ्र उसे दूर कर लेंगे। मॉक ड्रिल के लिए मैने सभी अस्पताल प्रभारियों को निर्देश दे दिया है। मॉक ड्रिल के बाद सभी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के अस्पतालों में मौजूद जीवनदायिनी मशीनों का ब्योरा देंगे। उसके अनुसार आगे की प्लानिंग बनाई जाएगी।

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