पर्यावरणीय चुनौतियाँ हल करेंगे ग्लोबल साउथ देश…

ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताएँ ही भारत की प्राथमिकता, जी-20 में ग्लोबल साउथ एण्ड ग्लोबल गवर्नेंस फॉर लाइफ राउण्ड टेबल सम्पन्न

विश्व में जलवायु परिवर्तन और असंतुलन, विकास के साथ उपजी विडम्बनाएँ हैं। ग्लोबल साउथ देशों का इस असंतुलन में न के बराबर योगदान होने के बावजूद उनके द्वारा इनसे निपटने के लिये महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं।

जी-20 के विशेष थिंक 20 कार्यक्रम के अंतिम दिन “ग्लोबल साउथ एण्ड ग्लोबल गवर्नेंस फॉर लाइफ” राउण्ड टेबल की अध्यक्षता करते हुए मॉडरेटर और कुलपति ऋषिहुड विश्वविद्यालय सोनीपत प्रो. शोभित माथुर ने कहा कि ग्लोबल साउथ भारत की आवाज है और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताएँ भारत की प्राथमिकताएँ हैं।

पर्यावरण सम्मत जीवन-शैली, नैतिक मूल्य, सुमंगलम युक्त वैश्विक सुशासन के लिये ऐसे सरल, सहज मापदण्ड होना चाहिए जो हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

पेनलिस्ट में कार्यकारी निदेशक सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग] बांग्लादेश डॉ. फहमिदा खातून, सीनियर इन्वेस्टिगेटर नेशनल काउंसिल फॉर साइंटिफिक एण्ड टेक्निकल रिसर्च, अर्जेंटीना डॉ. ग्लेडिस लेचनी, निदेशक विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग, इंडोनेशिया डॉ. विस्नु उटोमो और लीड कोर्डिनेटर पॉलिसी ब्रिज टैंक प्रोग्राम, साउथ अफ्रीका सुश्री पामला गोपॉल शामिल थे।

डॉ. खातून ने कहा कि राष्ट्रों के मध्य बने सहयोग और समन्वय से शासन के मुद्दे काफी महत्वपूर्ण हो गये हैं।

सभी राष्ट्रों की आकांक्षाएँ अलग-अलग होने से आम सहमति के लिये अक्सर एक चुनौती बन जाती है। पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

एक कुशल पर्यावरण प्रशासन प्रणाली स्थानीय समुदायों को शामिल करती है और सभी भागीदारों के बीच समझौतों को प्रोत्साहित भी करती है।

डॉ. ग्लेडिस लेचनी ने कहा कि मुख्य-धारा के अमेरिकी सिद्धांतों ने मुख्य रूप से धन के कारण लेटिन अमेरिकी विचारों और विकास की नीतियों को प्रभावित किया है। स्थानीय और दक्षिणी देशों की आवाज का निर्माण करना आज समय की आवश्यकता है।

स्थानीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये स्थानीय ज्ञान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जी-20 एक बहुपक्षीय मंच है जो इस दिशा में कार्य करता है।

हमें आईपीएसए जैसे उपकरणों का उपयोग कर समाधान की ओर बढ़ना होगा। हम ऐसा नेतृत्व तैयार करना चाहते हैं, जो स्थायी उत्पादन और खपत में भी विश्वास रखता हो।

डॉ. पामला गोपॉल ने कहा कि शासन को सलाहकार सेवाएँ प्रदान करने के लिये मौजूदा ज्ञान प्रणालियों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। हमें वित्तीय बाधाओं पर नजर रखने के साथ प्रक्रिया में एक वाहक के रूप में कार्य करने की भी आवश्यकता है।

अफ्रीका वैश्विक मुद्दों पर एक मुखर और जिम्मेदार आवाज के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही यह वैश्विक विकास प्रक्रियाओं में एक सक्रिय भागीदारी की भी आकांक्षा रखता है। विश्व के 55 देश में 1.4 बिलियन वाली आबादी वाला अफ्रीका वैश्विक स्तर पर मात्र 3 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करता है। जी-20 सक्रिय जुड़ाव के लिये एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत को अपनी अध्यक्षता से वैश्विक नैतिकता में अपना मत पुर्नस्थापित करना चाहिए।

कोरोना महामारी के बाद जीवन-शैली में परिवर्तन पर बोलते हुए डॉ. विस्नु उटोमो ने कहा कि इसने वैश्विक और आर्थिक बढ़ोत्तरी को प्रभावित किया है। पिछले 20 सालों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण असंतुलन भी बढ़ा है।

हमारी नीतियाँ, संकल्पों और तैयारियों को समाविष्ट करते हुए तैयार की जानी चाहिए। राष्ट्रों को मिल कर विश्व के तमाम ज्वलंत मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए। पर्यावरणीय-संरक्षण के प्रति उत्तरदायी जीवन-शैली को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *