जजों की नियुक्ति पर फिर होगी तकरार, कॉलेजियम ने की गे वकील की सिफारिश; प्रधानमंत्री मोदी के आलोचक का भी नाम…

सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर एकबार फिर तकरार देखने को मिल सकती है।

कॉलेजियम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले एक वकील को जज बनाने और एक गे वकील को जज बनाने का प्रस्ताव भेजा है।

आपको बता दें कि उनका सहचर स्विट्जरलैंड का नागरिक है। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इस प्रस्ताव को ठुकरा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने अधिवक्ता आर. जॉन सत्यन को मद्रास उच्च न्यायालय का जज नियुक्त करने की अपनी 16 फरवरी, 2022 की सिफारिश को दोहराया है।

कॉलेजियम ने सत्यन द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गईं टिप्पणियों को नजरअंदाज किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी शामिल है। खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने सत्यन की सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आपत्ति जताई है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने कहा कि इसने 17 जनवरी, 2023 को अपनी बैठक में अधिवक्ता सत्यन को मद्रास उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति के लिए अपनी पहले की सिफारिश को दोहराया है। कॉलेजियम में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं।

कॉलेजियम ने कहा कि आईबी ने सत्यन के सोशल मीडिया पोस्ट पर आपत्ति जताई है। हालांकि, साथ ही यह भी कहा है कि उनकी एक अच्छी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि है और उनकी सत्यनिष्ठा के संबंध में कुछ भी प्रतिकूल नहीं पाया गया है।

इसने कहा कि सत्यन ईसाई समुदाय से हैं और आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है।

पहले भी की गई थी सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया, ”इस दृष्टि से, कॉलेजियम की यह सुविचारित राय है कि आर. जॉन सत्यन मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं।

इसलिए, कॉलेजियम उनकी नियुक्ति के लिए 16 फरवरी, 2022 की अपनी सिफारिश को दोहराता है।” कॉलेजियम ने कहा कि जब उसने पहली बार सत्यन को न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की, तो सभी सलाहकार न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी (अब सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त पाया था।

सौरभ कृपाल को दिल्ली HC का जज बनाने की सिफारिश दोहराई
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराया है।

कॉलेजियम ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से लंबित है, जिस पर तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी एक बयान में गुरुवार कहा गया, इस पृष्ठभूमि में, कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराया है, जिस पर तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है।

13 अक्तूबर, 2017 को दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति से की गई सिफारिश और 11 नवंबर, 2021 को कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित इस सिफारिश को पुनर्विचार के लिए केंद्र ने 25 नवंबर, 2022 को हमारे पास वापस भेज दिया था। सौरभ कृपाल के पास क्षमता, सत्यनिष्ठा और मेधा है और उनकी नियुक्ति से उच्च न्यायालय की पीठ में विविधता आएगी।

तथ्य यह है कि कृपाल अपने ओरिएंटेशन (समलैंगिक यौन रुचि) के बारे में खुले हैं, यह एक ऐसा मामला है जिसका उन्हें क्रेडिट जाता है।

न्यायपालिका के लिए एक संभावित उम्मीदवार के रूप में वह अपने ओरिएंटेशन के बारे में गोपनीय नहीं रहे हैं। संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त अधिकारों को ध्यान में रखते हुए कॉलेजियम उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करता है।

इस आधार पर उनकी उम्मीदवारी को खारिज करना यह स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ने की आशंका नहीं’
प्रस्ताव वापस करने के लिए केंद्र का एक अन्य कारण यह है कि कृपाल का सहचर स्विट्जरलैंड का नागरिक है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हालांकि कहा कि इस बात की कोई आशंका नहीं है कि कृपाल के साथी के व्यवहार का राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर पड़ता है।

यह मानने का कोई कारण नहीं है कि उम्मीदवार का साथी, जो एक स्विस नागरिक है, हमारे देश के लिए शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा, क्योंकि उसका मूल देश एक मित्र राष्ट्र है।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीएन कृपाल के पुत्र हैं सौरभ
वर्तमान और अतीत सहित उच्च पदों पर कई व्यक्ति संवैधानिक पदों के धारकों के पति-पत्नी विदेशी नागरिक हैं और रहे हैं।

इसलिए, सिद्धांत रूप में इस आधार पर सौरभ की उम्मीदवारी पर कोई आपत्ति नहीं हो सकत कि उनका साथी विदेशी नागरिक है।

इस सिफारिश पर तीव्रता से कार्यवाही करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि सौरभ, देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीएन कृपाल के पुत्र हैं।

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