IMF से लोन लेने में बांग्लादेश ने मारी बाजी, मुंह ताक रहा पाकिस्तान; कहां हो गई चूक?…

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब आखिरी उम्मीद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से ही बची है।

पाकिस्तान IMF से और कर्ज लेने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। इस बीच उसके पड़ोसी देश बांग्लादेश को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बांग्लादेश को 4.7 बिलियन डॉलर के ऋण (लोन) को मंजूरी दे दी है।

आर्थिक संकट के बीच पिछले साल लोन के लिए आवेदन करने वाले तीन दक्षिण एशियाई देशों में से इकलौता बांग्लादेश है जिसे IMF ने तुरंत मंजूरी दे दी है।

इन तीन देशों में बांग्लादेश के अलावा, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल हैं। 

लोन मिलना प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए अच्छी खबर क्यों?

बांग्लादेश में अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले IMF से लोन की मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरह महंगाई से जूझ रहा है।

बांग्लादेश वित्तीय घाटे में तेजी से वृद्धि का सामना कर रहा है। इसके अलावा, मुद्रा (टका) में गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी जा रही है। 

इस बीच आईएमएफ से लोन हासिल करना हसीना सरकार के लिए एक अच्छी खबर है। IMF कार्यकारी बोर्ड ने सोमवार को बांग्‍लादेश के लिए 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर ऋण मंजूरी किए।

ऋण की यह राश‍ि बांग्‍लादेश की आर्थिक नीतियों के समर्थन के लिए दी जा रही है। राशि बांग्‍लादेश को 42 महीनों में दी जाएगी।

इसके अलावा, आईएमएफ ने कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन यूद्ध से उत्‍पन्‍न आर्थिक संकट से उबरने में बांग्‍लादेश के प्रयासों की सराहना की है।

बांग्लादेश को तुरंत मिलेंगे लगभग 476 मिलियन डॉलर 

आईएमएफ की विस्तारित ऋण सुविधा और संबंधित व्यवस्थाओं के तहत बांग्‍लादेश को तत्काल लगभग 476 मिलियन डॉलर मिलेंगे।

कुल मिलाकर बांग्लादेश को लगभग 3.3 अरब डॉलर मिलेंगे। इसके अलावा, आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने बांग्लादेश को जलवायु निवेश के लिए लगभग 1.4 बिलियन डॉलर की मंजूरी दी, जो इसे एक्सेस करने वाला पहला एशियाई देश है।

देश ने पिछले साल अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के प्रयासों के बीच विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से 2 अरब डॉलर की मांग की थी। सरकार ने हाल के महीनों में आईएमएफ से संपर्क करते हुए ईंधन और ऊर्जा की कीमतें भी बढ़ाई हैं।

इसने बुधवार से खुदरा बिजली की कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की, जो इस महीने की दूसरी वृद्धि है। माना जा रहा है कि हसीना सरकार के इन्हीं प्रयासों की बदौलत आईएमएफ ने बांग्लादेश को लोन दिया है। 

बेहद मुश्किल हुई पाकिस्तान की डगर

वहीं दूसरी तरफ, बांग्लादेश के क्षेत्रीय समकक्ष, श्रीलंका और पाकिस्तान, आर्थिक रूप से बेहद गंभीर संकट से जूझ रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें अभी तक आईएमएफ से लोन नहीं मिला है।

घटता विदेशी मुद्रा भंडार, राष्ट्रव्यापी बिजली कटौती, सरकार द्वारा संचालित खाद्य वितरण केंद्रों पर अफरा-तफरी तथा भगदड़ और पाकिस्तानी रुपये में एक साल के अंदर आई भारी गिरावट ने पाकिस्तान को उस स्थिति में पहुंचा दिया है जहां उसके लिए अंतरराष्ट्रीय कर्ज चुकाना बेहद मुश्किल हो गया है।

भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि इससे क्षेत्र के लिये गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पाकिस्तानी रुपये में बीते एक साल में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है और सोमवार को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 262 पाकिस्तानी रुपये रही।

प्रयाप्त कदम नहीं उठा पाया पाकिस्तान

पाकिस्तान के सात अरब डॉलर के आईएमएफ ‘बेल-आउट’ (स्वतंत्रता के बाद से 23वां) पैकेज के वितरण को पिछले नवंबर में रोक दिया गया था क्योंकि वैश्विक ऋणदाता ने महसूस किया था कि देश ने अर्थव्यवस्था को सही आकार देने के लिए राजकोषीय और आर्थिक सुधारों की दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 4.34 अरब डॉलर (एक साल पहले के 16.6 अरब डॉलर से) रह गया है, जो मुश्किल से तीन सप्ताह की आयात जरूरतों के लिए पर्याप्त है जबकि उसका दीर्घावधि कर्ज बढ़कर 274 अरब डॉलर हो गया है, जिसमें इस तिमाही में करीब आठ अरब डॉलर का पुनर्भुगतान किया जाना भी बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *