तो कोई सुरक्षित नहीं रहेगा, लगाम कसी जाए; ED के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हरीश साल्वे…

ED यानी प्रवर्तन निदेशालय की ‘शक्तियों’ पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठे हैं।

एक मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट का कहना है कि अगर लगाम नहीं लगाई गई, तो देश में कोई सुरक्षित नहीं होगा।  

गुरुग्राम की कंपनी M3M के खिलाफ जारी PMLA केस से जुड़ी कई याचिकाओं पर शीर्ष न्यायालय में सुनवाई हुई थी.

M3M समूह का पक्ष रखने कोर्ट पहुंचे एडवोकेट सालवे ने कहा, ‘ईडी को ये शक्तियां दी गई हैं। अगर कोर्ट ने इनपर लगाम नहीं लगाई, तो देश में कोई भी सुरक्षित नहीं होगा।

देखें किस तरह से गिरफ्तारियां हो रही हैं। वे सहयोग कर रहे हैं। गिरफ्तार किया जाना मेरे अधिकारों का उल्लंघन है… इन ताकतों पर लगाम लगाए जाने की जरूरत है।’

सालवे के अलावा एडवोकेट मुकुल रोहतगी भी M3M के निदेशक बसंत बंसल और पंकज बंसल का पक्ष रख रहे थे।

दोनों को एक एक पूर्व जज को रिश्वत देने से जुड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था।

खास बात है कि याचिका के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में गिरफ्तारी पर दखल देने से इनकार कर दिया था।

ईडी ने 14 जून को PMLA के तहत बंसल बंधू को गिरफ्तार किया था। उन्हें हरियाणा के पंचकूला में विशेष PMLA कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें ED की पांच दिनों की हिरासत में भेज दिया।

9 जून को उच्च न्यायालय 5 जुलाई तक उन्हें रियल एस्टेट कंपनी IREO से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दे दी थी।

क्या है मामला
दरअसल, जिस मामले में बंसल बंधू की गिरफ्तारी हुई है, वह हरियाणा एसीबी की तरफ से 17 अप्रैल को दर्ज FIR से जुड़ा है।

FIR सीबीआई के पूर्व स्पेशल जज सुधीर परमार, M3M के एक अन्य डायरेक्टर, रूप कुमार बंसल और एक अन्य शख्स के खिलाफ दर्ज की गई थी।

ईडी का दावा था कि उन्हें जानकारी मिली है कि परमार IREO से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपियों का पक्ष ले रहे हैं। केस दर्ज होने के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने परमार को निलंबित कर दिया था।

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