बंगाल पंचायत चुनाव में BJP को झटका, वहां भी TMC से हारी जहां लोकसभा और विधानसभा में लहराया था परचम…

पश्चिम बंगाल में पचायत चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) से अधिकांश क्षेत्रों में पीछे है, जहां उसने 2021 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था।

मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों में भाजपा कांग्रेस, सीपीआई (एम) और भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा (आईएसएफ) के गठबंधन से भी पीछे रह गई है।

आपको बता दें कि 9 जून के बाद से मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना में सबसे अधिक झड़पें और मौतें हुईं।

टीएमसी ने दक्षिण 24 परगना में 6383 ग्राम पंचायत सीटों में से 2568 सीटें जीतीं और मुर्शिदाबाद में 5593 सीटों में से 1441 सीटें जीतीं। इन इलाकों राज्य की सबसे अधिक 63% मुस्लिम आबादी रहती है।

2019 और 21 में भाजपा ने टीएमसी को चौंकाया
बीजेपी ने 2019 में बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीतकर टीएमसी को बड़ा झटका दिया था।  2021 में 294 विधानसभा सीटों में से 75 सीटें हासिल की थी।

दोनों चुनावों में उत्तर बंगाल के आठ जिलों में भाजपा के प्रदर्शन ने टीएमसी के लिए चिंता का विषय बना दिया था।

2021 में बीजेपी ने इन आठ जिलों की 54 सीटों में से 30 सीटें हासिल कीं। वहीं, टीएमसी ने राज्य की 294 सीटों में से 215 सीटें जीतीं। 2019 में 42 लोकसभा सीटों में से भाजपा को 18 सीटें मिलीं जिनमें उत्तर बंगाल की आठ सीटों में से सात सीटें शामिल थीं।

पंचायत चुनाव में पिछड़ी
बीजेपी रात 8 बजे तक उत्तरी बंगाल के कूच बिहार जिले की 2507 ग्राम पंचायत सीटों में से केवल 315 सीटें ही जीत सकी। जलपाईगुड़ी जिले में भाजपा ने 1701 ग्राम पंचायत सीटों में से केवल 161 सीटें जीतीं। उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में भाजपा ग्राम पंचायत की 2220 और 1308 सीटों में से क्रमशः 82 और 37 ही जीत सकी।

उत्तर बंगाल में हार का सामना करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला ने कहा, “भाजपा ने चुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन गिनती से पहले मतपत्र बदल दिए गए।”

आपको बता दें कि वह अलीपुरद्वार से सांसद हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और कूचबिहार से सांसद निसिथ प्रमाणिक ने सत्तारूढ़ दल को चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “मेरी बात लिख लो। 2024 में बंगाल से टीएमसी का सफाया हो जाएगा।”

आपको बता दें कि पंचायत चुनाव पूरी तरह से गांव के विकास से संबंधित स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं, लेकिन सभी दलों ने 2024 में महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले इस प्रतियोगिता को एक एसिड टेस्ट के रूप में देखा था।

14 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल की अपनी पहली बंगाल रैली की और पूर्वी राज्य बीरभूम जिले में भाजपा के लोकसभा अभियान की शुरुआत की थी।  इसे टीएमसी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है।

परिणाम पर एक नजर
मंगलवार रात 8 बजे तक टीएमसी ने बीरभूम की 2859 ग्राम पंचायत सीटों में से 705 सीटें जीत ली थीं और अन्य 228 पर आगे चल रही थीं। 

झाड़ग्राम जिले में राज्य की सबसे अधिक आदिवासी आबादी रहती है। यहां टीएमसी ने 1007 ग्राम पंचायत सीटों में से 495 सीटें जीतीं और 94 पर आगे चल रही है। भाजपा केवल 90 जीत सकी और 19 पर आगे चल रही है। 

पुरुलिया और बांकुरा में भी यही हाल है। पुरुलिया में टीएमसी ने 2476 ग्राम पंचायत सीटों में से 932 सीटें हासिल कीं, जबकि बीजेपी ने केवल 236 सीटें जीतीं।

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