कबीर को हमेशा सुनते आए है, आज भी सुन रहे है, लेकिन फिर भी मन नहीं भरता: मुख्यमंत्री बघेल…

किस्सागोई के माध्यम से कहने-सुनने की परंपरा को पुनः स्थापित करने के लिए युवा कलाकारों के पहल को सराहा

मुख्यमंत्री ‘दास्तान-ए-कबीर‘ कार्यक्रम में हुए शामिल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज शाम राजधानी रायपुर स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में आयोजित ‘दास्तान-ए-कबीर‘ कार्यक्रम में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री बघेल दर्शक ने दीर्घा में बैठकर संत कबीर की दास्तानगो को पूरा सुना और इसका आनन्द लिया। मुख्यमंत्री ने किस्सागोई के माध्यम से कहने-सुनने की परंपरा को पुनः स्थापित करने के लिए युवा कलाकारों के पहल को सराहा।

गौरतलब है कि दास्तांगोई के लिए मशहूर कलाकार हिमांशु बाजपेयी सहित अजय टिपानिया, सुश्री प्रज्ञा शर्मा और वेदांत भारद्वाज ने संगीतमय प्रस्तुति दी।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कबीर को हम सभी हमेशा सुनते आए है और आज भी सुन रहे है, लेकिन फिर भी मन नहीं भरता।

यह खुशी की बात है कि युवा कलाकारों ने ही युवा पीढ़ी को कबीर से परिचय कराने का संकल्प लिया है और संत कबीर की कहानियां वो सुना रहे है।

मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि खेत से फसल काटकर ब्यारा में लाने और मिसाई तक के इन डेढ़-दो महीनों में उन्हें कहानी सुनने का बड़ा अच्छा मौका मिलता था।

गांव के जो लोग काम करते थे वे बहुत अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाते थे। लोक जीवन में कहानियों का अपना संसार है और उसकी अपनी दुनिया है। कहानियों से सीखते-समझते हम बड़े हुए। आज की युवा पीढ़ी कहानियां नहीं सुनती।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पुस्तक पढ़कर जो बातें समझ नहीं आती, उन्हें छोटी-छोटी कहानियों और घटनाओं के माध्यम से उसे सहज ही समझा जा सकता है। कहानियों का अपना रस है, बड़ी सीख भी कहानियां आसानी से सीखा जाती है, अन्य विधाओं में ऐसा कम ही होता है।

मुख्यमंत्री बघेल ने युवा कलाकारों के प्रयासों की प्रशंसा की और आगे भी ऐसे आयोजन की बात दोहराई। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कलाकारों को शॉल और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर पद्मश्री मदन चौहान, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राकेश गुप्ता, सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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