छत्तीसगढ़; धमतरी: हाईवे में मुरूम को लेकर राजनीति जारी! भाजपा कांग्रेस को घेर रही तो कांग्रेस भी अपने बचाओ में उतरी। संभावना ये भी कि आमजन ने मुरूम डलवाई…

सैयद जावेद हुसैन ( सह संपादक – छत्तीसगढ़)

धमतरी- नेशनल हाईवे के गड्ढों पर डाली गई मुरूम की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही। आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। भाजपा कांग्रेस को कटघरे में खड़ी कर रही तो कांग्रेस भी अपना बचाओ करते हुए पत्राचार करने में जुट गई है।

मालूम हो कि बीते सोमवार की देर रात शहर से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे 30 के गड्ढों में मुरूम डाली गई।

जिसे लेकर मंगलवार से लगातार ये मामला काफी सुर्खियां बटोर रहा है, जब मामला सुर्खियों में आएगा तो फिर विपक्ष में बैठी भाजपा खुद को कैसे पीछे रखे? भाजपा के नेता कार्यकर्ता युवा मोर्चा के बैनर तले नेशनल हाईवे में उतरे और उन्होंने हाईवे चक्काजाम ही नही किया, बल्कि कबड्डी खेल के राज्य शासन व निगम प्रशासन को अवगत कराने का प्रयास भी किया कि शहर की सड़कों के मामले में भाजपा अपने तरीके से प्रयास में जुटी है। बहरहाल ये राजनीति तो चलती ही रही है जिसकी गवाह यहां की जनता है।

असली मामला है कि सड़क में मुरूम डाली किसने? क्योंकि सड़क से संबंधित दोनो विभाग पीडब्ल्यूडी व एनएचएआई ने साफ कर दिया है कि उनके द्वारा सड़क में मुरूम नही डाली गई!

जब विभाग के माध्यम से सड़क में मुरूम नही डाली गई तो फिर क्या भाजपाई निराधार होकर ही आंदोलन में कूद पड़े? ये यहां यक्ष प्रश्न है। 

यहां ये भी संभावना जताई जा रही है कि शायद शहर का कोई नागरिक जो ख़ुद इस सड़क पर हादसे का शिकार हुआ, या उसका कोई अपना। जिसे शायद नियमों की उतनी जानकारी न हो और उसने जनसेवा की भावना रख सड़क के गड्ढों को भरने मुरूम डलवा दी हो!

यहां ये भी एक बड़ा सवाल है कि यदि सरकार के माध्यम से सड़क निर्माण या अन्य कोई विकास कार्य किसी कारणवश नही हो पा रहा तो क्या ऐसा नहीं हो सकता कि यहां के तमाम बड़े बड़े नेता, व्यापारिक संगठन, गैर राजनीतिक संगठन मिलकर जनता की सेवा के लिए अपनी जेबों से कुछ पैसे निकालकर सड़क मरम्मत या उक्त आवश्यक कार्यों को करवा दें? क्योंकि इन नेताओं व गैर राजनीतिक संगठनों में बकौल उनके ही जनसेवा की भावनाएं कूट कूट कर भरी होती हैं!

क्या ऐसे मामूली कार्य भी जनता की सेवा का दंभ भरने वाले हमारे स्थानीय नेता व संगठन नही कर सकते? क्या विकास कार्य के लिए सिर्फ सत्तासीन पार्टी या नेता ही जिम्मेदार हैं? ये सवाल अब यहां की जनता के मन में पनपने लगा है। 

बहरहाल आगे देखना दिलचस्प होगा कि सड़क पर मुरूम की लड़ाई कहां जाकर थमेगी।

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