Chandrayaan-3 को नहीं मिली ‘दूसरी इनिंग’, फिर भी अमर हो गए विक्रम और प्रज्ञान रोवर; जानें कैसे…

भारत का चंद्रमिशन (Chandrayaan-3 mission) ऐतिहासिक रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं।

14 जुलाई को चांद की ओर निकला चंद्रयान-3, 42 दिनों की यात्रा पूरी करने के बाद दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। इसे पूरी दुनिया ने देखा और भारत की अंतरिक्ष ताकत को महसूस किया।

जब चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की तब शुरुआती 14 दिनों तक विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने कई ऐतिहासिक कारनामे किए। चांद पर ऐसी-ऐसी चीजों की खोज की जो दुनिया के लिए उस वक्त तक अनजान थी।

14 दिन विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने धमाल तो मचाया लेकिन, सर्द रातों में जब सोए तो फिर नहीं जागे। अगर काम करना शुरू कर देते तो यह इसरो के लिए बूस्टर का काम जरूर करता।

चांद पर एक बार फिर रात हो चुकी है और इसी के साथ विक्रम और रोवर के जागने की उम्मीद भी कम होती जा रही है। हालांकि इसमें चिंता या दुखी जैसा कुछ नहीं है। जानिए कैसे चांद पर हमेशा के लिए अमर हो गए विक्रम और प्रज्ञान रोवर…

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने लैंडिंग के बाद पहले 14 दिन चांद पर जमकर डेटा एकत्र किए। रोवर ने चांद के दक्षिणी हिस्से पर जमकर चहल-कदमी की और चांद से कई तस्वीरें धरती की तरफ भेजी।

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि विक्रम और रोवर को 14 दिनों के लिए ही बनाया गया था क्योंकि चांद पर रात के वक्त तापमान -200 डिग्री तक चला जाता है। इतनी सर्द रातों में मशीनें खराब होने का खतरा था। विक्रम और रोवर को चांद जितना तापमान में  टेस्टिंग कराना मुमकिन नहीं था। 

अमर हो गए विक्रम और रोवर
हालांकि अगर विक्रम और प्रज्ञान जाग जाते तो बात कुछ और होती। इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मिशन कोई रिमोट सेंसिंग या कम्यूनिकेशन सैटेलाइट जैसा नहीं है। विक्रम और रोवर के पेलोड से डेटा की मात्रा भले ही कम हो लेकिन, जरूरी बात यह है कि वे लैंडिंग के बाद पहले दिन से ही काम करना शुरू कर चुके थे।

प्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोड से उम्मीद से ज्यादा डेटा एकत्र किया गया है। टीम इस डेटा का विश्लेष करने में जुटी है। यह जानकारी धरती जैसे रहने योग्य ग्रह की खोज में अहम साबित हो सकती है। ऑर्बिटर काम कर रहा है। इसलिए कहा जा सकता है कि चंद्रयन-3 मिशन पूरी तरह से कामयाब रहा है।

चांद के नए राजदूत
इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक एम शंकरन का कहना है कि विक्रम और रोवर अभी तक नहीं जागे हैं। रात हो जाने के बाद अब इनके जागने की उम्मीद काफी कम रह गई है। हालांकि हमने अपनी कोशिशें अभी भी जारी रखी हैं। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने पहले कहा था अगर विक्रम और रोवर नहीं जागते हैं तो वे चांद की सतह पर भारतीय राजदूत की तरह हमेशा के लिए बने रहेंगे।

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