फिलिस्तीन के हक में खुलकर बोला भारत, शरणार्थियों के लिए 20 करोड़ रुपये भी किए दान…

भारत ने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए एक बार फिर से फिलिस्तीन के हक में खुलकर बात की।

भारत ने फिलिस्तीनियों की चिंताओं को दूर करने का आह्वान करते हुए ‘दो-राज्य’ के समाधान पर बल दिया।

इजरायल-हमास संघर्ष पर विचार-विमर्श के लिए मंगलवार को आयोजित ब्रिक्स बैठक में, भारत ने कहा कि मौजूदा संकट एक आतंकवादी हमले के कारण शुरू हुआ और आतंकवाद के साथ किसी को भी कोई समझौता नहीं करना चाहिए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से इस डिजिटल बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गाजा में संकट को देखते हुए भारत ने 70 टन मानवीय सहायता भेजी है और वह सहायता जारी रखेगा।

जयशंकर ने कहा, “गाजा में जारी इजराइल-हमास संघर्ष के कारण नागरिकों को भारी मानवीय पीड़ा हो रही है। हम तनाव कम करने की खातिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं।

फिलहाल यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि मानवीय सहायता और राहत गाजा की आबादी तक प्रभावी और सुरक्षित रूप से पहुंचे।”

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा द्वारा आयोजित इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्‍ट्रपति लूइज इनासियो लूला डि सिल्‍वा और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह भी जरूरी है कि सभी बंधकों को रिहा कर दिया जाए। हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना सार्वभौमिक दायित्व है।

हम सभी जानते हैं कि मौजूदा संकट सात अक्टूबर के आतंकवादी हमले से शुरू हुआ था। जहां तक आतंकवाद का सवाल है, हममें से किसी को भी इससे समझौता नहीं करना चाहिए।

बंधक बनाना भी अस्वीकार्य है और इसे माफ नहीं किया जा सकता है।’ जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में क्षेत्र और दुनिया भर के कई नेताओं से बातचीत की है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने शांति के लिए अनुकूल स्थितियां बनाने और प्रत्यक्ष एवं सार्थक शांति वार्ता को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।

विदेश मंत्री ने कहा, “हमारा मानना है कि फिलिस्तीनी लोगों की चिंताओं को गंभीरता से और सतत तरीके से दूर किया जाना चाहिए। केवल दो-राज्य के समाधान के साथ इसका हल हो सकता है, जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित है।” ब्रिक्स देशों के सदस्यों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

भारत ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र को 25 लाख अमेरिकी डॉलर दान किए

भारत ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए)को 25 लाख अमेरिकी डॉलर (20 करोड़ रुपये) दान किए हैं।

गाजा के लिए इस मुश्किल भरे वक्त में योगदान देने के एजेंसी ने मंगलवार को भारत के कदम का स्वागत किया है।

यूएनआरडब्ल्यूए 1950 से काम कर रही है और पंजीकृत फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए प्रत्यक्ष राहत एवं बचाव कार्यों का जिम्मा संभालती है। संयुक्त राष्ट्र के लगभग सभी सदस्य देश स्वेच्छा से इसे दान देते हैं।

रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि कार्यालय के मुताबिक, भारत ने 2023-24 के लिए यूएनआरडब्ल्यूए के कार्यक्रमों और सेवाओं के समर्थन के लिए अपने वार्षिक योगदान के हिस्से के रूप में सोमवार को 25 लाख अमेरिकी डॉलर दिए हैं।

एजेंसी के कार्यों में फिलिस्तीनी शरणार्थियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, राहत और सामाजिक सेवाएं मुहैया कराना शामिल है। फिलिस्तीन के लिए भारतीय प्रतिनिधि रेणु यादव ने यूएनआरडब्ल्यूए के विदेश मामलों के विभाग के भागीदारी निदेशक करीम आमिर को यह दानराशि सौंपी।

यूएनआरडब्ल्यूए की एक प्रवक्ता तमारा अलरफाई ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘यूएनआरडब्ल्यूए को भारत से सोमवार को बड़ा दान प्राप्त हुआ, जिसकी पुष्टि करते हुए हम इस मुश्किल दौर में पूरे क्षेत्र में विशेष रूप से गाजा के समक्ष भारी जरूरतों की चुनौतियों से निपटने में योगदान का तहे दिल से स्वागत करते हैं।’

सात अक्टूबर को इजराइल-हमास संघर्ष की शुरुआत के बाद से यूएनआरडब्ल्यूए हजारों फिलिस्तीनियों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस खूनी संघर्ष के कारण गाजा की दो-तिहाई से अधिक आबादी को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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