राजशाही बहाल करो, नेपाल में हिंदू नेता ने छेड़ा आंदोलन; सड़कों पर उतरे हजारों लोग…

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इस समय भीषण बवाल मचा हुआ है।

जहां दुनिया के ज्यादातर देश लोकतंत्र को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं तो वहीं नेपाल में इसके ठीक उलट, राजशाही की मांग हो रही है।

राजधानी काठमांडू में गुरुवार को पुलिस और प्रदर्शनकारी समूहों के बीच जमकर झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। 

ज्ञात हो कि 28 मई, 2008 को नवनिर्वाचित लोकसभा ने 240 वर्ष पुरानी राजशाही को समाप्त करते हुए नेपाल को एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था।

इस ऐतिसाहिक पल के 15 साल बाद अब फिर से नेपाल में राजशाही की मांग हो रही है। नेपाल के गृह मंत्रालय ने बताया है कि सेना को स्टैंडबाय पर रखा गया था, लेकिन उसे इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

कौन हैं दुर्गा प्रसाई?

राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व दुर्गा प्रसाई कर रहे हैं। दुर्गा प्रसाई एक उद्यमी और पूर्व माओवादी कार्यकर्ता हैं। वे केपी ओली के नेतृत्व वाली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) की केंद्रीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

अब वे खुद कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ मुखर हैं। सीपीएन-यूएमएल की युवा शाखा (युबासंघ) के सदस्यों और दुर्गा प्रसाई के समर्थकों के बीच गुरुवार को काठमांडू के बल्खू में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर झड़प हुई।

मोटरसाइकिल रैली के दौरान बल्खू पहुंचने के बाद प्रसाई के समर्थकों ने यूएमएल कैडरों पर पथराव किया।

प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों और सड़क के किनारे पार्क किए गए वाहनों को भी प्रसाई समर्थकों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।

अपने ‘राष्ट्र, राष्ट्रीयता, धर्म-संस्कृति और नागरिक बचाव अभियान’ के तहत लोगों को संगठित कर रहे प्रसाई ने शासन को उखाड़ फेंकने और राजशाही और हिंदू साम्राज्य को बहाल करने की चेतावनी दी है। यूएमएल और प्रसाई अलग-अलग काठमांडू-केंद्रित प्रदर्शन कर रहे हैं।  

“लोगों के सामने आत्मसमर्पण करें प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल”

युबासंघ ने तिनकुने में एक अलग रैली की, जहां इसके लिए जगह आवंटित की गई थी। संगठन के पूर्व प्रमुख और ओली के करीबी विश्वासपात्र महेश बस्नेत ने चेतावनी दी कि वे प्रसाई जैसे लोगों को अराजक स्थिति पैदा नहीं करने देंगे। बाद में दिन में, प्रसाई ने कहा कि यह आंदोलन “मौजूदा व्यवस्था के खिलाफ लोगों का सामूहिक विद्रोह” है।

उन्होंने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल से यह भी कहा कि “लोगों के सामने आत्मसमर्पण करें और देश को किस तरह की राजनीतिक व्यवस्था अपनानी चाहिए, इस बारे में उनकी इच्छा का पालन करें”। प्रसाई इस आंदोलन को ‘देश बचाओ’ आंदोलन कह रहे हैं। उन्होंने विपक्षी नेता केपी ओली की भी आलोचना की है।

प्रसाई ने कहा, “हम राजनीतिक नेताओं की लूट-खसोट का विरोध करते हैं। बैंकों, सहकारी समितियों और वित्तीय संस्थानों ने लोगों का शोषण किया है और हम चाहते हैं कि इन संस्थानों द्वारा दिए गए 20 लाख रुपये से कम के ऋण माफ किए जाएं।” प्रसाई ने राजधानी में व्यवसायियों से 24 नवंबर से अपनी दुकानें बंद रखने के लिए भी समर्थन मांगा है।

नेपाल और राजशाही का अंत

एक विशेष रूप से निर्वाचित लोकसभा ने 2008 में एक समझौते की शर्तों के तहत 239 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया था, जिससे माओवादी विद्रोह समाप्त हो गया। इस विद्रोह में 1996 और 2006 के बीच 17,000 लोग मारे गए थे। 2008 में एक संघीय गणराज्य की स्थापना हुई। लेकिन राजशाही के अंत के बाद से नेपाल में 10 से अधिक बार सरकार बदलने से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है, जिससे आर्थिक विकास अवरुद्ध हो गया है और लाखों युवाओं को मुख्य रूप से मलेशिया, दक्षिण कोरिया और मध्य पूर्व में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पूर्व माओवादी विद्रोही प्रमुख पुष्प कमल दहाल अब नेपाल के प्रधानमंत्री हैं और मध्यमार्गी नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं।

पाली शाही नरसंहार 

एक तरफ जब नेपाल माओवादी विद्रोह से जूझ रहा था उसी दौरान लगभग पूरे नेपाली राजशाही परिवार की हत्या कर दी गई थी। इसे नेपाली शाही नरसंहार के नाम से जाना जाता है। नेपाली शाही नरसंहार 1 जून 2001 को नेपाली राजशाही के तत्कालीन निवास नारायणहिती पैलेस में हुआ था। महल में शाही परिवार की एक सभा के दौरान सामूहिक गोलीबारी में राजा बीरेंद्र और रानी ऐश्वर्या सहित शाही परिवार के नौ सदस्य मारे गए थे। 
सरकार द्वारा नियुक्त जांच दल ने क्राउन प्रिंस दीपेंद्र को नरसंहार का अपराधी बताया। सिर में गोली मारने के बाद दीपेंद्र कोमा में चले गए। राजा बीरेंद्र की मृत्यु के बाद दीपेंद्र को बेहोशी की हालत में नेपाल का राजा घोषित किया गया था। नरसंहार के तीन दिन बाद होश में आए बिना अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। बीरेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र फिर राजा बने। भारत और चीन के बीच स्थित हिमालय पर्वतीय देश नेपाल के अंतिम राजा ज्ञानेंद्र, काठमांडू में अपने परिवार के साथ एक आम नागरिक के रूप में रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *