चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता ने इस शख्स को बना दिया अरबपति, जानें कैसे हुआ यह कारनामा…

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है जो दुनिया के किसी भी देश ने नहीं की है।

जी हां, चंद्रयान-3 ने चांद पर वहां कदम रखा था जहां दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका। अमेरिका, रूस और चीन चांद पर पहुंचने में कामयाब तो रहे लेकिन भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी, जो अपने आप में ऐतिहासिक रहा।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 का उतरना न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया के अहम था बल्कि इस उपलब्धि ने मैसूर के एक शख्स को अरबपति बना दिया।

वह शख्स कोई और नहीं बल्कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को बिजली मुहैया कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की आपूर्ति करने वाली कंपनी कायन्स टेक्नोलॉजी इंडिया (केटीआई) के संस्थापक रमेश कुन्हिकन्नन हैं।

40 फीसदी बढ़ा शेयर

फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, मैसूर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और कायन्स टेक्नोलॉजी इंडिया के संस्थापक 60 वर्षीय रमेश कुन्हिकन्नन ने सफल मिशन के दौरान चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर दोनों को बिजली देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की आपूर्ति की थी। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में उनकी कंपनी के शेयर की कीमत में 3 गुना वृद्धि देखी गई है। उनकी कंपनी के शेयर अब 40 फीसदी ऊपर हैं। कुन्हिकन्नन की कंपनी में 64 फीसदी हिस्सेदारी है, उनकी नेटवर्थ बढ़कर 1.1 अरब डॉलर हो गई है। उनकी कंपनी सर्किट बोर्ड्स के निर्माण और असेंबलिंग का काम करती है। 

अगले साल और मालामाल होगी कंपनी

केटीआई द्वारा निर्मित सर्किट बोर्ड का उपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, चिकित्सा, रक्षा आदि में किया जाता है। 1988 में कुन्हिकन्नन ने इस कंपनी की शुरुआत की। केटीआई ने इलेक्ट्रॉनिक्स के कॉन्ट्रैक्ट प्रोडक्शन करने रूप में शुरुआत की। 1996 में रमेश और उनकी पत्नी सविता ने मिलकर इसे बड़े पैमाने पर विकसित किया। फोर्ब्स पत्रिका ने केटीआई कंपनी की ग्रोथ पर रिपोर्ट दी। कंपनी को 2024 तक 208 मिलियन डॉलर का वार्षिक राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

चंद्रयान-3 के बारे में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। विक्रम रोवर ने 24 अगस्त, 2023 को शाम 6:30 बजे चंद्रमा के दक्षिणी द्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की। विभिन्न इन-सीटू प्रयोगों को करने के बाद, रोवर को 2 सितंबर 2023 को निष्क्रिय कर दिया गया।

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