भिलाई में 30 माह बाद भी वेतन समझौता अधूरा, दिल्ली हाईकोर्ट में वकील को फीस देने कर रहे चंदा…

बीएसपी सहित सेल के 54 हजार कर्मियों को पहले तो वेज रिवीजन पर एनजेसीएस यूनियनों और सेल प्रबंधन के बीच 58 महीने देरी से सहमति बनी।

उसके बाद 30 महीने बीत गए हैं, सहमति समझौते में नहीं बदल पाई है। जिसके कारण कर्मचारियों को वेज रिवीजन का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा। हर महीने बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा।

इसके बाद भी प्रबंधन के रुख को देखते हुए नहीं लग रहा कि जल्द ही एनजेसीएस की बैठक बुलाकर मामले का निराकरण होगा। लिहाजा वेतन समझौता को पूरा कराने के लिए नए कर्मियों द्वारा गठित बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) दिल्ली हाईकोर्ट में मामले को चुनौती देने जा रहा है।

इसके लिए वकीलों से पहले दौर की चर्चा के बाद उन्हें भुगतान किए जाने वाली फीस के लिए कर्मियों से चंदा जमा करना शुरू कर दिया गया है। बीएकेएस के अध्यक्ष अमर सिंह का कहना है कि सेल प्रबंधन ने वेज रिवीजन के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया।

कर्मचारियों का वेज रिवीजन 22 अक्टूबर 2020 को रिकार्ड 58 महीने के विलंब के बाद एमओयू तक पहुंचा। जिसमें 25 की जगह 13 प्रतिशत एमजीबी और 35 प्रतिशत की जगह 26.5 प्रतिशत पर्क्स पर सेल प्रबंधन और एनजेसीएस सदस्य यूनियनों के बीच सहमति बनी। हालांकि इस बार का एमओयू में भी नया रिकार्ड बना।

जब बहुमत के आधार पर ही लागू कर दिया गया। क्योंकि एमओयू पर सीटू और बीएमएस ने हस्ताक्षर नहीं किए। एमओयू के बाद प्रबंधन ने 39 महीने का छोड़कर बाकी भुगतान तो कर दिया लेकिन एरियर्स सहित वेतन समझौते से जुड़े कई मुद्दे अभी भी लंबित है। जिसके कारण कर्मचारियों को हर महीने औसतन 20 से 30 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है।

सेल प्रबंधन ने वेज रिवीजन के लंबित मुद्दे मसलन एचआरए, नाइट शिफ्ट अलाउंस, वेज स्ट्रक्चर और एरियर्स भुगतान का निराकरण करने एनजेसीएस की सब कमेटी का गठन किया गया था।

ठेका श्रमिक वेज रिवीजन को लेकर गठित सब कमेटी की बैठक तो हुई लेकिन नतीजा नहीं निकला। वहीं नियमित कर्मियों के अधूरे वेज रिवीजन से जुड़े तमाम लंबित मुद्दों में से अब तक केवल वेज स्ट्रक्चर ही बन पाया है। बाकी मुद्दों को लेकर सब कमेटी की बैठक तक नहीं हुई।

30 महीने बाद भी इन मुद्दों को लेकर बैठक नहीं बुलाई गई वेज रिवीजन पर एमओयू करते समय सेल प्रबंधन की ओर से लंबित मुद्दों के जल्द निराकरण करने का आश्वासन दिया था। लेकिन 30 महीने बाद भी इन मुद्दों को लेकर बैठक नहीं बुलाई गई।

बोनस और ठेका श्रमिकों का वेज रिवीजन के लिए बुलाई गई बैठक में केंद्रीय यूनियन प्रतिनिधियों ने अधूरे वेतन समझौते को मुद्दा भी उठाने की कोशिश की लेकिन प्रबंधन ने एक न सुनी। उसके बाद से एनजेसीएस की बैठक नहीं हुई।

याचिका दायर पर खर्च होंगे 10 लाख वकील से कोटेशन मंगवाया गया केंद्रीय यूनियनों का दबाव बेअसर होने के बाद नवगठित बीएकेएस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रही है।

इसे लेकर वकीलों से पहले दौर की चर्चा भी हो चुकी है। याचिका दायर करने पर वकील की फीस 8 से 10 लाख का भुगतान करना होगा।

वकीलों से कोटेशन मंगवाया गया है। साथ ही उन्हें फीस का भुगतान करने के लिए कर्मियों से चंदा जमा किया जा रहा है। शीतकालीन अवकाश के बाद याचिका दायर की जाएगी।

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