डिप्टी सीएम साव बोले- ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार; जानिए किसे मिल सकता है, कौन सा विभाग…

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार में 9 मंत्रियों के शपथ लेने के बाद अब 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो गया है।

इसमें 2 डिप्टी सीएम भी हैं। भाजपा अपनी सरकार को वन मैन शो की तरह लोगों के बीच प्रोजेक्ट नहीं होने देना चाहती। ऐसे में सत्ता और ताकत का संतुलित बंटवारा विभागों में दिखेगा।

सीएम और दोनों डिप्टी सीएम की केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद ये माना जा रहा है कि जल्द ही विभाग दे दिए जाएंगे।चर्चा है कि मुख्यमंत्री साय वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग अपने पास रख सकते हैं।

राज्य में पिछले 20 सालों से यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। इसके साथ जनसंपर्क, खनिज और ऊर्जा विभाग भी अपने पास रख सकते हैं।

डिप्टी सीएम में हो सकता है ऊर्जा-खनिज का बंटवारा

अब तक परंपरा रही है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री वित्त जनसंपर्क, खनिज, ऊर्जा सरीखे विभाग अपने पास रखते हैं।

हालांकि साय सरकार में ये परंपरा टूट सकती है। कुछ दमदार विभाग दो डिप्टी सीएम के पास जाने की प्रबल संभावना है। ऐसे में ऊर्जा और खनिज विभाग का दो डिप्टी सीएम के बीच बंटवारा हो सकता है।

अरुण साव- गृह, जेल विधि विधायी या खनन, ऊर्जा
वजह-
 अरुण साव भाजपा की पिछली सरकार में हाईकोर्ट में बतौर वकील सरकार का पक्ष कई मामलों में रख चुके हैं। चुनावी अभियान में कानून व्यवस्था को लेकर पहली बार बुलडोजर वाले बयान दिए। सरकार बनते ही इसका असर देखने को मिला। माना जा रहा है कि कानूनी ज्ञान की वजह से साव को गृह विभाग मिल सकता है। पावर बैलेंस करने के लिए साव को ऊर्जा और खनन विभाग भी दिया जा सकता है।

विजय शर्मा- धर्मस्व, संस्कृति, पर्यटन,आवास और पर्यावरण जैसे विभाग
वजह-
 पहली बार विधायक बने विजय शर्मा युवा मोर्चा में छात्र समस्याओं पर राजनीति कर चुके हैं। प्रदेश सरकार का युवा हिंदू चेहरा हैं। डिप्टी CM हैं, उनकी छवि के मुताबिक ये विभाग उन्हें मिल सकते हैं। आवास के मसले पर विपक्ष में रहते हुए जब आंदोलन हुए थे तब शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भाजपा ने जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ा है, उनमें आवास का मसला महत्वपूर्ण रहा है।

लखन लाल देवांगन – नगरीय प्रशासन विभाग, ग्रामोद्योग
वजह-
 प्रदेश सरकार के मंत्रियों में लखन एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने पार्षद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की है। कोरबा से लंबे वक्त के बाद भाजपा को जीत दिलाने में इनका हाथ है। महापौर भी रहे हैं।

श्याम बिहारी जायसवाल- कृषि, पशुपालन और जल संसाधन
वजह-
 श्याम बिहारी जायसवाल भाजपा किसान मोर्चा के नेता रहे हैं। विपक्ष में रहते हुए जायसवाल के नेतृत्व में कई किसान आंदोलन किए। इस अनुभव की वजह से उन्हें कृषि मंत्री बनाया जा सकता है।

लक्ष्मी राजवाड़े- महिला बाल विकास और समाज कल्याण विभाग
वजह-
 साय कैबिनेट की अकेली महिला मंत्री हैं। भाजपा महिला मोर्चा में लम्बे वक्त से काम करती आ रहीं हैं। सबसे कम उम्र 31 साल की मंत्री हैं। महिलाओं और बालिकाओं के मसले पर बेहतर काम की उम्मीद के चलते इन्हें महिला बाल विकास विभाग दिया जा सकता है।

ओपी चौधरी – लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण
वजह-
 ओपी IAS की नौकरी छोड़ राजनीति में आए हैं। छत्तीसगढ़ भाजपा के इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्हें यूथ पसंद करता है। युवाओं के मसले पर ही इनकी राजनीति अधिक फोकस रही है। अफसर रहते एजुकेशन पर काफी काम किया है।

टंकराम वर्मा- स्कूल शिक्षा और पीएचई
वजह-
 टंकराम वर्मा शिक्षक रह चुके हैं। केदार कश्यप के स्कूल शिक्षा मंत्री रहते हुए, उनके पीए भी थे। मंत्रियों के काम को समझते हैं। लंबे वक्त से रायपुर के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने की वजह से उन्हें ये विभाग दिए जा सकते हैं।

तो पुराने नेताओं का क्या होगा?

बृजमोहन अग्रवाल- PWD, राजस्व और आबकारी, संसदीय कार्य

वजह – इन्हें PWD, गृह, स्कूल शिक्षा जैसे विभागों को चलाने का लंबा अनुभव रहा है। इस बार बृजमोहन को अगर PWD नहीं तो परिवहन विभाग या आबकारी विभाग दिया जा सकता है। मंत्रिमंडल में नए पुराने चेहरों को लाकर भाजपा ने जो कॉम्बिनेशन दिखाया है, उस हिसाब से प्रमुख विभाग पुराने नेताओं को दिए जा सकते हैं। संसदीय कार्यों का भी अनुभव बृजमोहन अग्रवाल को है। इसलिए वे संसदीय कार्य मंत्री बनाए जा सकते हैं।

केदार कश्यप- वन, आदिम जाति कल्याण विभाग

वजह – पिछले दिनों केदार संगठन में अहम पद महामंत्री की जिम्मेदारी पर रहकर चुनावी रणनीतियां बनाते रहे। आदिवासियों का मुद्दा भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव के लिहाज से अहम है। इसलिए उन्हें ये विभाग देने की चर्चा है।

रामविचार नेताम – वाणिज्य और उद्योग, श्रम,पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग

वजह- प्रदेश सरकार में बृजमोहन अग्रवाल की तरह रामविचार नेताम काफी सीनियर नेता हैं। पिछली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनके अनुभव का फायदा प्रमुख विभागों में मिल सकता है।

दयालदास बघेल – खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग

वजह- प्रदेश की सरकार में इकलौते एससी वर्ग के नेता हैं। रमन कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गुरु रुद्र कुमार को हराया। माना जा रहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग में इन्हें मौका दिया जाएगा।

दिल्ली से लौट कर क्या बोले साव
शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी CM अरुण साव और विजय शर्मा दिल्ली में थे। वहां से लौटकर अरुण साव ने मंत्रियों के विभागों पर जवाब देते हुए कहा- ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है मंत्रिमंडल का गठन करना और मंत्रियों को विभाग देना, जल्द ही विभागों का आबंटन हो जाएगा।

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