ताली एक हाथ से नहीं बजती, चीन के मसले पर जयशंकर की दो टूक; बताया दुनिया के लिए कितना अहम भारत…

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के लिए भारत की अहमियत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदल रहा है, कोई भी बड़ा वैश्विक मुद्दा भारत के परामर्श के बिना तय नहीं किया जाता है।

विदेश मंत्री ने बताया कि वैश्विक मुद्दों के लिए भारत की रजामंदी बेहद जरूरी है। शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “दुनिया में कोई भी बड़ा मुद्दा भारत के साथ परामर्श के बिना तय नहीं किया जाता है। हम बदल गए हैं और हमारे बारे में दुनिया का नजरिया बदल गया है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि हम स्वतंत्र हैं, हमें यह सीखने की जरूरत है कि अलग-अलग लोगों के साथ व्यवहार करके अपने हितों को कैसे साधा जाए।

जयशंकर ने भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के बारे में भी बात करते हुए कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान तब तक नहीं सुधर सकता जब तक दोनों तरफ इसके लिए तत्परता नहीं दिखाई जाए।

चीन को दो टूक
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “मैंने अपने चीनी समकक्ष को समझाया है कि जब तक आप सीमा विवाद का समाधान नहीं ढूंढ लेते और जब तक सेनाएं वहां आमने-सामने ही रहेंगी। तब तक आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि बाकी संबंध सामान्य तरीके से चलेंगे। यह असंभव है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश संबंधों को सामान्य बनाने पर काम कर रहे हैं और कभी-कभी, राजनयिक गतिरोधों को हल होने में समय लगता है।

पहले भी सुना चुके हैं खरी-खरी
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले भी यह बात दोहरा चुके हैं। पिछले साल केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर जयशंकर ने कहा, ”भारत भी चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है लेकिन यह केवल तभी संभव है तब सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति हो।”

उन्होंने चीन को पूरी तरह से स्पष्ट किया कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के संबंध आगे नहीं बढ़ सकते। जयशंकर ने उत्तरी सीमा की स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव, लालच और गलत विमर्श से प्रभावित नहीं होता।

बता दें कि ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल चीन की तरफ से प्रायोजित एक योजना है जिसमें पुराने सिल्क रोड के आधार पर एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों में आधारभूत सम्पर्क ढांचे का विकास किये जाने की योजना है।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के कुछ क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षो से अधिक समय से तनातनी है। हालांकि दोनों देशों के बीच अनेक दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद कुछ क्षेत्रों से दोनों पक्ष पीछे हटे हैं।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को अपने सैनिकों को पीछे हटाने के रास्ते तलाशने होंगे और वर्तमान गतिरोध चीन के हित में भी नहीं है।

इस संबंध में सवालों के जवाब में जयशंकर ने कहा, ” वास्तविकता यह है कि संबंध प्रभावित हुए हैं और यह प्रभावित होते रहेंगे…. अगर कोई ऐसी उम्मीद रखता है कि सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने के बावजूद हम किसी प्रकार (संबंध) सामान्य बना लेंगे तो ये उचित उम्मीद नहीं है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या मई 2020 के सीमा विवाद के बाद चीन ने भारत के क्षेत्र पर कब्जा किया है, जयशंकर ने कहा कि समस्या सैनिकों की अग्रिम मोर्चे पर तैनाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *