जब हुस्न के जाल में फंसी देश की साख, हनीट्रैप पर नेहरू का क्या था रिएक्शन; केजीबी ने बनाया था भारतीय राजनयिक को शिकार…

हनीट्रैप एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार यह टर्म चर्चा में है सतेंद्र सिवाल के चलते।

यूपी के हापुड़ का रहने वाला सतेंद्र मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास में तैनात था। सतेंद्र के ऊपर आरोप है कि वह आईएसआई के इशारे पर विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों को हनीट्रैप कराता था।

इसके बाद गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेज देता था। जानकारी के मुताबिक आईएसआई ने सतेंद्र को भी हनीट्रैप के जरिए ही ट्रैप किया था।

आइए जानते हैं भारत से जुड़ा हनीट्रैप का एक पुराना किस्सा, जिस पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का रिएक्शन भी सामने आया था।

जब नेहरू के सामने आया था मामला
किसी भारतीय अधिकारी या राजनयिक को हनीट्रैप करने का सबसे पहला मामला पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के वक्त का है।

उस वक्त मॉस्को में तैनात एक राजनयिक को रूसी जासूसी एजेंसी केजीबी ने ट्रैप कर लिया था। इसके बाद केजीबी ने डिप्लोमेट को वह तस्वीरें भेजीं जिसमें वह उस लड़की के साथ दिख रहे थे।

इस पर डिप्लोमेट सतर्क हो गए और उन्होंने मामला अपने तत्कालीन एंबेसडर के सामने उठाया और केजीबी द्वारा ब्लैकमेल करने की कोशिश की जानकारी दी।

एंबेसडर ने इस मामले को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जानकारी में ले गए जो कि खुद विदेश मंत्रालय प्रभारी थे।

जानकारी होने के बाद प्रधानमंत्री नेहरू मुस्कुराए और युवा डिप्लोमेट को भविष्य में और अधिक सतर्क रहने की चेतावनी देकर छोड़ दिया।

भारत के कुछ चर्चित केसेज
भारत में हनीट्रैप का एक चर्चित केस केवी उन्नीकृष्णन का है। वह रॉ के अधिकारी थे और आरोप है कि उन्हें साल 1980 में हनीट्रैप किया गया था।

जिस महिला ने उन्हें इस जाल में फंसाया था उसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का एजेंट बताया गया था। यह महिला उस वक्त पैन अम एयरलाइंस में एयर होस्टेस के तौर पर काम कर रही थी।

वहीं, उन्नीकृष्णनन रॉ की चेन्नई डिवीजन के मुखिया के रूप में कार्यरत थे। उन दिनों वह लिट्टे से जुड़े मामले पर काम कर रहे थे।

उन्नीकृष्णन को 1987 में इस महिला के जरिए सूचनाएं लीक करने के आरोप में 1987 में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी तरह 1990 में एक नेवी अधिकारी इस्लामाबाद में कराची की नर्स के जाल में फंस गए थे।

यह नर्स असल में आईएसआई एजेंट थी। बाद में अधिकारी को सेवा से मुक्त कर दिया गया। इसी तरह का चर्चित मामला माधुरी गुप्ता का है, जो इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रेस व सूचना विभाग में सेकंड सेक्रेट्री थी।

साल 2010 में माधुरी को आईएसआई एजेंट को जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।

कुछ और पुराने किस्से 
अगर सबसे कुख्यात केस की बात करें तो इसने रॉ तक को हिला दिया था। यह मामला था रबिंदर सिंह का जो अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए का गुलाम बन गया था।

रॉ के सर्विलांस में होते हुए भी वह 2004 में नेपाल के रास्ते अमेरिका भाग निकला। इसी तरह एक नेवी अफसर कमांडर सुखजिंदर सिंह का केस भी आया था।

उसके ऊपर साल 2005 से 2007 के बीच रूसी महिला के साथ संबंध का आरोप है। उस वक्त वह रूस में तैनात था। मई 2008 में बीजिंग में तैनान एक वरिष्ठ भारतीय दूतावास अधिकारी को नई दिल्ली बुला लिया गया था।

उनके ऊपर शक था वह चीनी हनीट्रैप के जाल में फंस रहे थे। इसी तरह मनमोहन शर्मा नाम के अधिकारी रॉ में सीनियर रिसर्च अधिकारी थे।

उनके ऊपर आरोप था कि वह अपनी चीनी लैंग्वेज टीचर के साथ प्यार में हैं। भारतीय अधिकारियों को शक था कि महिला चीनी सरकार की जासूस हो सकती है।

हनीट्रैप क्या, कैसे दिया जाता है अंजाम
सीधे शब्दों में कहें तो हनीट्रैप यानी हुस्न का जाल। इसके तहत खूबसूरत लड़कियों-महिलाओं का इस्तेमाल करके किसी देश या संस्था से संवेदनशील जानकारी जुटाई जाती है।

बताया जाता है कि इस ट्रेंड की शुरुआत माताहारी नाम की डांसर के साथ हुई थी, जिसका इस्तेमाल जर्मनों ने फ्रांस की जासूसी के लिए किया था।

बाद में उसे इसी आरोप में गोली भी मार दी गई थी। इसके अलावा रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के हनीट्रैप के किस्से काफी मशहूर हैं।

साल 2022 में एक पूर्व केजीबी एजेंट ने दावा किया था कि उसे इस तरह की ट्रेनिंग दी गई है कि वह किसी भी पुरुष को अपने प्यार में पागल कर सकती है।

इतना ही नहीं, उसका यह भी कहना था कि ब्रिटेन में तमाम रूसी महिला एजेंट्स काम कर रही हैं, जिन्हें इसी तरह से ट्रेनिंग दी गई है।  

फिलहाल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई हनीट्रैप का इस्तेमाल करने के लिए सबसे ज्यादा बदनाम है। वह भारत से जुड़ी सेंसेटिव इंफॉर्मेशन लीक करने के लिए इस चाल का इस्तेमाल करती है।

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