महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंप दी है।
जब आयोग के प्रमुख जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील शुक्रे ने रिपोर्ट पेश किया तो उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी वहीं मौजूद थे।
मुख्यमंत्री शिंदे को उम्मीद है कि इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मराठा समुदाय को कानूनी जांच पर खरा उतरने वाला आरक्षण मिल सकेगा।
हालांकि, रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आयोग ने कुनबी प्रमाण-पत्र धारकों को मराठा आरक्षण का हकदार नहीं माना है।
आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद खुद मुख्यमंत्री शिंदे ने भी यह स्पष्ट किया कि जिन मराठों ने अपने वंश में कुनबी रिकॉर्ड खोजने के बाद कुनबी (ओबीसी) जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया था, वे मराठा कोटा के लिए पात्र नहीं होंगे।
अब मराठा समुदाय को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े आधार पर आरक्षण देने और उस पर चर्चा के लिए 20 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।
उस दिन इस मुद्दे पर सबसे पहले सुबह 10 बजे के आसपास राज्य कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी और फिर लगभग एक घंटे बाद विधानसभा में आरक्षण का बिल पेश किया जाएगा।
मामले से परिचित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जब राजनीतिक दलों के बीच मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने पर सहमति बन जाएगी, तो फिर इस पर विचार-विमर्श करने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी और आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा।”
इस बीच, मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समुदाय को आरक्षण देने के बारे में सकारात्मक है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि रिपोर्ट से सरकार को आवश्यक आंकड़ों के साथ मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने में मदद मिलेगी।
इस व्यापक कवायद में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया। शिंदे ने इस बात पर जोर दिया कि अन्य समुदायों के मौजूदा आरक्षण को छेड़े बिना मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया जाएगा।
सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ था जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
यह सर्वेक्षण 2.5 करोड़ परिवारों पर किया गया। सरकार ने इसी तरह की एक कवायद में, कुनबी रिकॉर्ड की तलाश भी शुरू कर दी थी।
कृषक समुदाय में आने वाले कुनबी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आते हैं और जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।