340 वर्ष बाद होली पर बन रहे कई शुभ योग…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

पंचांग के अनुसार फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहते हैं। अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग (दुल्हैंडी) का पर्व मनाया जाता है।

इस बार 24 मार्च रविवार को होलिका दहन किया जायेगा और 25 मार्च को रंग खेला जाएगा। 

24 मार्च को प्रदोषकालीन पूर्णिमा रात्रि में 956 पर वृद्धि योग, विष्टि करण, उत्तरा फागुनी नक्षत्र में प्रारंभ होकर 25 मार्च को दोपहर 1230 तक रहेगी व भद्रा भी रात्रि 956 से प्रारंभ होकर रात्रि 1114 पर समाप्त हो जाएगी।

सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग, धन शक्ति योग, बुधादित्य योग मिलाकर बनते हैं पंच महायोग। कुम्भ राशि में शनि, मंगल, शुक्र ग्रह होने से बनते हैं त्रिग्रही योग। इस प्रकार के समस्त बड़े, छोटे सूक्ष्म और वृहत योग 340 वर्षों बाद प्राप्त हो रहे हैं जो विशेष फलदायी हो रहे हैं।

ज्योतिषचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार फागुल पूर्णिमा तिथि 24 मार्च की सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर शुरु होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी।

इस बार होलिका दहन वाले दिन सुबह 955 से रात 1112 बजे तक भद्रा भी रहेगी, इसलिए एक विशेष समय में ही होलिका दहन किया जा सकेगा।

24 मार्च को प्रातकाल 9 बजकर 55 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी इसलिए 24 मार्च को दिन में होलिका पूजन सुबह 9 बजकर 55 मिनट के बाद कभी भी कर सकते हैं, लेकिन 24 मार्च को शाम 430 से 6 बजे तक राहुकाल रहेगा। इसलिए होली पूजन सुबह 955 बजे से शाम 430 तक के बीच करना उचित होगा।

विभोर इंदूसुत के अनुसार संध्याकाल में सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोषकाल आरम्भ होता है जिसमें होली दहन की परंपरा है। पर इस बार 24 मार्च होलिका दहन वाले दिन सुबह 955 से रात्रि 1112 तक भद्रा भी उपस्थित रहेगी।

पूर्णिमा तिथि 24 मार्च सुबह 955 से 25 मार्च दोपहर 1229 तक

होलिका दहन 24 मार्च रविवार

दुल्हैंडी (रंग) 25 मार्च सोमवार

24 मार्च को भद्रा उपस्थित सुबह 955 से रात्रि 1112 तक

होली पूजन 24 मार्च प्रातकाल 955 से – शाम 430 बजे तक

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