सूर्य, चंद्र और राहु का संयोग मीन राशि में, ग्रहण काल में क्या करें और ग्रहण के बाद क्या करें…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है वहां पर इसका प्रभाव व्यापक रूप से पड़ता है।

परंतु अन्य जगहों पर भी इसका प्रभाव अवश्य पड़ता हुआ दिखाई देगा। सूर्य, चंद्र और राहु का संयोग मीन राशि में बन रहा है।

परिणाम स्वरूप समुद्र में हलचल, चक्रवात की स्थिति में वृद्धि, भूकंप की स्थितियो में वृद्धि, राजनीतिक व्यवस्थाओं में उत्तल-पुथल की स्थिति, सामाजिक स्थितियों में तनाव की संभावना, आर्थिक व्यवस्था पर भी थोड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई देगा।

सरकारी तंत्र से जुड़े बड़े व्यक्तित्व के लिए यह ग्रहण नकारात्मक प्रभाव स्थापित कर सकता है। मन पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ने के कारण कमजोर दिल के लोगो के लिए थोडी नकारात्मकता बढ़ जाएगी। साथ ही विषाणु जनित रोगों में वृद्धि हो सकती है।

आर्थिक व्यवस्था में भी नकारात्मक प्रभाव ज्यादा दिखाई दे सकता है, राजनीतिक उत्तल-पुथल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेष करके उन राष्ट्रों में जहां पर यह ग्रहण दिखाई देगा वहां पर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक व्यवस्थाओं पर विपरीत प्रभाव दिखाई दे सकता है। अतः सतर्कता बेहद जरूरी है-

सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें ?
सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद किसी पवित्र नदी यथा गंगा, नर्मदा, रावी, यमुना, सरस्वती, इत्यादि में स्नान करें। यह संभव न हो तो तालाब, कुएं या बावड़ी में स्नान करें। यदि यह भी संभव न हो तो घर पर रखे हुए तीर्थ जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।


ग्रहण समाप्ति अर्थात मोक्ष होने के बाद स्वर्ण, कंबल, तेल, कपास या मच्छरदानी का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को करना चाहिए।

ग्रहण काल मे क्या करें :-
ग्रहण काल मे ग्रहों की स्थिति के अनुसार मन का कारक ग्रह चद्रमा मीन राशि मे केतु और सूर्य के साथ रहेंगे । अतः सूर्य एवं चंद्रमा से प्रभावित होने वाले जातकों को विशेष सावधानी बरतनी होगी।

ग्रहण शुभ एवं अशुभ दोनों फल प्रदान करता है। अतः यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि आपने किस फल के अनुरूप कार्य किया है।

खण्ड सूर्य ग्रहण के सूतक काल में दान तथा जापादि का महत्व माना गया है। पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान आदि के बाद मंत्रो का जप किया जाना श्रेष्ठ फल प्रदायक होता है तथा इस समय में मंत्र सिद्धि भी की जाती है। 

धर्म-कर्म से जुड़े लोगों को अपनी लग्न एवं राशि अनुसार अथवा किसी योग्य ब्राह्मण के परामर्श से दान की जाने वाली वस्तुओं को इकठ्ठा कर संकल्प के साथ उन वस्तुओं को योग्य व्यक्ति को दे देना चाहिए।

ग्रहण काल में सूर्य तथा राहु के मित्रों का जाप करना बेहद लाभदायक होता है
ॐ घृणि सूर्याय नमः।
ॐ आदित्याय विद्महे सहस्र कीर्णाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात।
ॐ रां राहवे नमः
ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः

सूतक एवं ग्रहणकाल में क्या नहीं करें ?
किसी भी ग्रहण के सूतक के समय भगवान की मूर्ति का स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है।

व्यक्ति को, खाना-पीना, सोना, नाख़ून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना, बाल काटना अथवा कटवाना, निद्रा मैथुन आदि कार्य बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए।

सूतक एवं ग्रहण काल में झूठ बोलना, छल-कपट, बेकार का वार्तालाप करना और मल- मूत्र विसर्जन आदि से परहेज करना चाहिए।

इस काल में रति क्रिया से बचना चाहिए। अर्थात मन-माने आचरण करने से मानसिक तथा बौद्धिक विकार के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य का भी क्षय होता है।

अत:  ग्रहणकाल में शरीर, मन, बुद्धि, वचन तथा कर्म से सावधान रहना चाहिए।

ग्रहण के सूतक के समय बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिला, एवं रोगी को यथानुकूल खाना अथवा दवा लेने में कोई दोष नहीं लगता है।

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