जर्मनी की नेतन्याहू को चेतावनी, यहां कदम रखा तो गिरफ्तार कर लेंगे; राफा पर हमला कर अलग-थलग इजरायल…

हमास के साथ जारी जंग के बीच इजरायल का राफा पर हमला करना उसे ही भारी पड़ता जा रहा है।

कई मोर्चों पर इजरायल अलग-थलग पड़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) के शीर्ष अभियोजक ने युद्ध के दौरान अपराधों के लिए इजरायल और हमास के प्रमुखों पर आरोप लगाते हुए उन्हें मानवता के खिलाफ जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले वैश्विक नेताओं की सूची में डाल दिया।

इनमें इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नाम भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत के बाद अब एक और यूरोपीय देश जर्मनी ने भी नेतन्याहू को तगड़ा झटका दिया है। 

जर्मनी ने कहा है कि अगर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू उसके देश में कदम रखते हैं तो उन्हें तुंरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के प्रवक्ता स्टीफन हेबेस्ट्रेइट ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उनका देश ‘कानून का पालन करेगा’ और आलोचनाओं से घिरे इजरायली नेता को देश आने पर गिरफ्तार कर लेगा। 

इन लोगों के खिलाफ वारंट की मांग कर रहे करीम खान 

ब्रिटिश अभियोजक करीम खान ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह नेतन्याहू, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट के साथ-साथ गाजा के शासक याह्या सिनवार सहित तीन हमास आतंकी प्रमुखों के लिए वारंट की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने 7 अक्टूबर को साजिश रची थी।

तीन न्यायाधीशों की एक पीठ फैसला करेगी कि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए या नहीं। ऐसे निर्णय लेने में न्यायाधीशों को दो महीने तक लग सकते हैं।

जर्मनी की बात करें तो उसका ये फैसला ऐसे समय में आया है जब बर्लिन में इजरायल के राजदूत रॉन प्रोसोर ने आईसीसी के प्रस्तावित गिरफ्तारी वारंट को अस्वीकार करने के लिए जर्मन सरकार से अपील की थी।

हालांकि अब ऐसा प्रतीता होता है कि जर्मनी ने इसे खारिज कर दिया है। एक्स पर मंगलवार को प्रोसर ने लिखा, “यह अपमानजनक है!

जर्मनी के “स्टैट्सरासन” की अब असली परीक्षा है। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं।” स्टैट्सरासन (Staatsräson) इजरायल की रक्षा के लिए जर्मनी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के संदर्भ में इस्तेमाल होता है। यह नीति पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल ने 2008 में नेसेट में एक भाषण के दौरान घोषित की थी।

क्या बोले नेतन्याहू और हमास

नेतन्याहू ने आरोपों को ‘वास्तविकता से हटकर’ बताया है। उन्होंने अभियोजक पर ‘दुनिया भर में भड़क रही यहूदी विरोधी भावना की आग में घी डालने’ का आरोप लगाया। नेतन्याहू ने इस फैसले की सोमवार को निंदा करते हुए इसे ‘‘वास्तविकता से कोसों दूर’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ”मैं हेग अभियोजक द्वारा लोकतांत्रिक इजरायल और हमास के सामूहिक हत्यारों के बीच की गई तुलना को कड़े शब्दों के साथ अस्वीकार करता हूं।”

वहीं हमास ने एक बयान में आरोप लगाया कि अभियोजक ‘पीड़ित की तुलना जल्लाद से करने की कोशिश कर रहे हैं।’ बयान के मुताबिक, हमास के पास इजरायली कब्जे का विरोध करने का अधिकार है।

फ्रांस और बेल्जियम ने भी छोड़ा साथ

फ्रांस के साथ ही बेल्जियम और स्लोवेनिया ने सोमवार को कहा था कि वे आईसीसी के अभियोजक करीम खान के कदम का समर्थन करते हैं।

इन देशों का समर्थन इजरायल के प्रति पश्चिम के दृष्टिकोण में विभाजन को उजागर करता है। इजरायल और हमास के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के अनुरोध के बीच इजरायल के विदेश मंत्री मंगलवार को फ्रांस के लिए रवाना हुए।

इस यात्रा का मकसद आईसीसी में हुई कार्यवाही के निष्कर्षों के असर को कम करना है। इजरायली विदेश मंत्री इजरायल काट्ज की अपने फ्रांसीसी समकक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें इस बात के लिए दिशा तय कर सकती हैं कि अगर वारंट जारी होता है तो फ्रांस का रुख कैसा होगा और क्या यह इजरायल के नेताओं के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

कब क्या हुआ था?

अभियोजक ने सात अक्टूबर को किए गए हमास पर हमले पर ध्यान केंद्रित किया। इस दिन चरमपंथियों ने दक्षिणी इजरायल पर हमला कर करीब 1,200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके जवाब में इजरायल ने गाजा में सैन्य हमला किया जिसमें करीब 35,000 फलस्तीनीयों की मौत हो गई है।

कई देश अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत को नहीं मानते

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत की स्थापना 2002 में हुई थी, जो युद्ध के दौरान अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों, नरसंहार और हमले संबंधी अपराधों के लिए लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाती है। इजरायल, अमेरिका, चीन और रूस सहित कई देश इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार को स्वीकार नहीं करते।

नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फलस्तीन को बतौर देश मान्यता दी

नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार को फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने का फैसला किया।

उसके इस कदम से गाजा में हमास के खिलाफ सात महीने से चल रहे युद्ध में इजरायल अलग-थलग पड़ सकता है। यह घोषणा तब की गयी है जब अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) के मुख्य अभियोजक इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके रक्षा मंत्री के लिए गिरफ्तारी वारंट की मांग कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) नरसंहार के आरोपों पर विचार कर रही है जिसे इजरायल ने सख्ती से खारिज किया है।

फलस्तीन ने इस घोषणा का स्वागत किया है।

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