दिल्ली-NCR में 50 डिग्री वाली गर्मी ने डराया, दुनिया में अब तक कितना रहा है सबसे हाई तापमान…

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बीते करीब एक सप्ताह से भीषण गर्मी है।

मंगलवार को तो तापमान कई स्थानों पर 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। यही नहीं दिल्ली में भी तीन स्थानों पर पारा 49 डिग्री रहा।

राजस्थान के चुरू में 50.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया तो वहीं हरियाणा के सिरसा में यह 50.3 डिग्री रहा। यही नहीं यूपी के झांसी, आगरा जैसे शहरों में भी तापमान चढ़ा हुआ है।

इससे जल्द राहत भी मिलती नहीं दिख रही है।

तापमान में इतने इजाफे ने चिंताएं बढ़ा दी हैं और ग्लोबल वार्मिंग के असर से लेकर तमाम चर्चाएं शुरू हैं। यही नहीं गर्मी के पिछले रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं कि आखिर इतना तापमान कब हुआ था।

इसका जवाब 2016 में मिलता है, जब राजस्थान के फलोदी में ही तापमान 51 डिग्री हो गया था। इससे पहले अलवर में 1956 में तापमान 50.6 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज हुआ था।

लेकिन इस बार यह चिंता की बात है क्योंकि राजस्थान ही नहीं बल्कि दिल्ली, यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों में भीषण गर्मी हो रही है।

जो राजस्थान के मुकाबले थोड़ा कम गर्मी वाले इलाके माने जाते हैं। दिल्ली की हालत इससे समझी जा सकती है कि नजफगढ़ में मंगलवार को तापमान 49.8 रहा तो वहीं मुंगेशपुर और नरेला में तो यह 49.9 डिग्री सेल्सियस हो गया।

अब दुनिया में अधिकतम तापमान की भी चर्चा है कि आखिर कब सबसे ज्यादा गर्मी और कहां महसूस की गई। इस जवाब 110 साल पीछे मिलता है।

10 जुलाई 1913 को अमेरिका के कैलिफॉर्निया की डेथ वैली में तापमान 56.7°C दर्ज हुआ था। यह दुनिया में किसी  भी स्थान पर अब तक का सबसे अधिक टेम्परेचर माना जाता है।

भारत की बात करें तो उत्तर पश्चिम के राजस्थान, दिल्ली, पश्चिम यूपी में काफी गर्मी होती है। खासतौर पर राजस्थान के सीकर, चुरू, जैसलमेर जैसे इलाकों में तापमान हर साल ही 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंचता रहा है।  

कब से राहत मिलने की उम्मीद, IMD ने क्या दी गुड न्यूज

बता दें कि मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि 30 मई तक लोगों को भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों को झेलना होगा। इसके अलावा राहत की एक खबर यह है कि 31 मई को मॉनसून केरल में दस्तक देगा।

यही नहीं इस साल जून से सितंबर के बीच मॉनसून में अच्छी बारिश होने की संभावना भी जताई गई है। ऐसे में उम्मीद है कि भले ही मई में गर्मी प्रचंड है, लेकिन आने वाले महीनों में कुछ राहत जरूर होगी। 

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