रायपुर : साय सरकार की अनूठी पहल, छत्तीसगढ़ के अपने विजन के क्रियान्वयन को पैनापन देने आईआईएम एवं देश भर के विषय विशेषज्ञों से की चर्चा…

आईआईएम रायपुर में आयोजित चिंतन शिविर के पहले दिन विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना के क्रियान्वयन का खाका खींचने हुआ सार्थक संवाद

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने लिया हिस्सा

दो दिवसीय चिंतन शिविर का शुभारंभ किया मुख्यमंत्री ने

अपनी तरह की अनूठी पहल करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने विकसित छत्तीसगढ़, विकसित भारत की संकल्पना के अपने विजन के क्रियान्वयन के लिए आईआईएम एवं देश भर की प्रतिष्ठित संस्थाओं के विषय विशेषज्ञों के साथ मंथन किया।

रायपुर आईआईएम में आयोजित इस दो दिवसीय चिंतन शिविर का शुभारंभ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया। शिविर में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री द्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा तथा मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगियों ने भी हिस्सा लिया।

इस तरह से देश में विषय विशेषज्ञों के साथ बौद्धिक विमर्श और चिंतन शिविर गुजरात में आयोजित किया गया था। इसके बाद देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य का पूरा मंत्रिमंडल प्रदेश को संवारने एवं विकास को नया आयाम देने विद्यार्थी भाव से विचारविमर्श करने जुटा है और अपने क्षेत्र के माने हुए विषय विशेषज्ञों से संवाद कर रहा है।

प्रदेश के नेतृत्व द्वारा इस तरह से अनूठी पहल करते हुए विशेषज्ञों से बौद्धिक विचार-विमर्श कर प्रदेश को संवारने के लिए आज सार्थक चर्चा की गई।

छत्तीसगढ़ के विकास के लिए बनाये गये विजन के क्रियान्वयन के लिए आज दिन भर हुए सत्रों में गहन विचारविमर्श किया गया। जैसे कोई कृषक बड़ी मेहनत से खेती के लिए अपनी जमीन तैयार करता है वैसा ही विकसित छत्तीसगढ़ के स्वप्न को मूर्त रूप देने छत्तीसगढ़ का शीर्ष नेतृत्व जुटा, जो विजन तैयार किया गया है उसे प्रभावी बनाने विषय विशेषज्ञों से राय ली गई  ताकि उनके सुझाव लेकर विजन के क्रियान्वयन को पैनापन दिया जा सके।

चिंतन शिविर में तय किया गया कि विकसित छत्तीसगढ़ के विजन को समाज के सभी वर्गों के बीच ले जाना है।

सबको जागरूक कर और उनकी भागीदारी लेकर विकसित छत्तीसगढ़ के सपनों को पूरा किया जाना है। शिविर में विषय विशेषज्ञों के साथ देर तक चर्चा हुई और छत्तीसगढ़ की संभावनाओं को लेकर बारीकियों पर बात हुईं।

संबोधन के प्रथम सत्र को नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने संबोधित किया। अपने संबोधन में सुब्रमण्यम ने विकसित भारत की संकल्पना और इसे प्राप्त करने की रणनीति के संबंध में विस्तार से अपनी बातें  साझा की।

उन्होंने कहा कि बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ा है और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाने में सफल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत 2047 बनाने का संकल्प लिया है और इसे पूरा करने की रणनीति बनाई है। सुब्रमण्यम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्केल, स्पीड और इनोवेशन पर जोर देते हैं।

बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य और समय को देखते हुए विकसित भारत का विजन तैयार किया गया है ताकि भारत अपनी विशिष्ट जगह बना सकें।

उन्होंने कहा कि अब दुनिया की निगाहें ग्लोबल साउथ पर हैं। अब दुनिया का नजरिया पश्चिम से पूर्व की ओर देखने का है और भारत इन संभावनाओं को पूरा करने के लिए सक्षम है।

भारत की जनांकिकी, भारत की रणनीतिक स्थिति और भारत में तेजी से हुए सुधारों से इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए भारत तैयार है।

उन्होंने कहा कि जब हम विजन लेकर चलते हैं तो स्वाभाविक रूप से हमें एक गाइड मैप मिल जाता है और इसके अनुरूप हम बढ़ते जाते हैं।

सुब्रमण्यम ने कहा कि विकसित भारत का संकल्प पूरा करने में छत्तीसगढ़ की अहम भागीदारी होगी। छत्तीसगढ़ में विकसित राज्य बनने के लिए और तीव्र विकास के लिए असीम संभावनाएं हैं और इस दिशा में आगे बढ़कर छत्तीसगढ़ अपने विकास के साथ ही विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

चिंतन शिविर में स्वास्थ्य, अधोसंरचना, खनन, लोकवित्त जैसे बुनियादी विषयों पर चर्चा हुई जिनमें बारीकी से कामकर और सही रणनीति बनाकर विकसित छत्तीसगढ़ और लोगों की समृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।

स्वास्थ्य में अधोसंरचना पर जोर दिया गया। कोविड जैसी आपदाओं से भविष्य में निपटने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह से चाकचौबंद रखने पर जोर दिया गया। साथ ही इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने और निरंतर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने चर्चा की गई।

प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग विषय पर भी चर्चा हुई। खनन में अनेक राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाने के संबंध में बात हुई। साथ ही खनन के पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में कार्य करने की जरूरत पर जोर दिया गया।

आधारभूत संरचना को सुदृढ़ किए जाने पर विशेष फोकस दिया गया।  शहरों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भीतरी सड़कों के विकास पर बल दिया गया ताकि विकसित अधोसंरचना के माध्यम से आर्थिक समृद्धि सभी क्षेत्रों तक बराबरी से पहुंच पाए।

लोक वित्त पर भी गहनता से चर्चा हुई। छत्तीसगढ़ की ताकत सरप्लस रेवेन्यू, फिस्कल डिसिप्लिन, लो डेब्ट एंड जीडीपी रेश्यो, खनिज एवं वनसंपदा पर जोर देते हुए कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, फसल वैविध्य, उद्योगों और टूरिज्म के अनुरूप मानव संसाधन को दक्ष बनाने की जरूरत पर बल दिया गया।

टीम प्रबंधन के लिए अनुभवात्मक गतिविधि के संबंध में विशेष चर्चा की गई।

सभी मंत्रिगणों ने संवाद में भागीदारी करते हुए छत्तीसगढ़ में इस संबंध में बनाई जा रही नीतियों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने सुब्रमण्यम एवं अन्य विशेषज्ञों के समक्ष अपनी जिज्ञासाएं भी रखीं जिस पर विकसित छत्तीसगढ़ और विकसित भारत के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए सार्थक परिचर्चा हुई।

उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय इस चिंतन शिविर का आयोजन छत्तीसगढ़ के विजन हेतु सार्थक विमर्श हो रहा है। साथ ही संसाधनों के सतत उपयोग एवं योजनाओं के कन्वर्जेंस सहित विविध विषयों पर चर्चा भी हो रही है।

चिंतन शिविर में कृषि मंत्री रामविचार नेताम, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा मौजूद रहे।

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