विकसित छत्तीसगढ़ का रोड मैप तैयार करने पर हुआ मंथन
देश का पहला अनूठा आयोजन, साय सरकार की आईआईएम में सुशासन की पाठशाला
शासन और प्रबंधन दो अलग-अलग शब्द हैं, दो अलग-अलग कार्य हैं, लेकिन एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हैं। एक के हिस्से में नीति के निर्माण का दायित्व है, तो दूसरे के हिस्से में क्रियान्वयन की जिम्मेदारी।
भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे में नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने की जवाबदेही जहां शासन पर रही, वहीं प्रबंधन की बारीकियों से जनप्रतिनिधियों का आमतौर पर ज्यादा लेना-देना नहीं रहा।
लेकिन हाल ही में छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसा नया घटित हुआ कि अब इस विचित्र विडंबना का अंत होता दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ के मंत्रियों को प्रबंधन की बारिकियां समझाने, सहयोग, नवाचार और दूरदर्शिता को बढ़ावा देने, राज्य के समृद्ध और समावेशी भविष्य के लिए आवश्यक सुधारों के बारे में विचार-विमर्श करने तथा विकास को लेकर जनप्रतिनिधियों की अंतर्दृष्टि को परिष्कृत करने के लिए बीते दो दिनों तक, यानी 31 मई से लेकर 01 जून तक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, रायपुर ने स्वयं के द्वारा डिजाइन किया गया एक अनूठा आयोजन किया।
इस आयोजन को आईआईएम ने चिंतन-शिविर नाम देकर पारंपरिक आयोजनों का टच देते हुए एक बिलकुल नयी और ताजी परंपरा की शुरुआत कर दी।
देश में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी चिंतन-शिविर में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने राजनीतिक रणनीति के बजाय दायित्वों के निर्वहन के लिए रणनीति पर गहन मंथन किया है।
राज्य की विष्णु देव साय सरकार की पहल पर ही आईआईएम ने इस बौद्धिक अनुप्रयोग का आयोजन किया था।
इसमें गुड गवर्नेंस से बेस्ट गवर्नेंस की ओर बढ़ने और सुशासन की संकल्पना को मूर्त रूप देते हुए विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए सरकार के विजन को और तीक्ष्ण करने के संबंध में विषय-विशेषज्ञों से मंत्रियों ने विचार-विमर्श किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और मंत्रिमंडल के उनके सहयोगियों ने सुशासन तथा बेस्ट प्रक्टिसेस के संबंध में विषय विशेषज्ञों के साथ अपने आइडियाज साझा किए। साथ ही अपनी जिज्ञासाएं भी रखी।
इस दौरान मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी लगातार दो दिनों तक आईआईएम की कक्षा में न केवल उपस्थित रहे, बल्कि इस दौरान उन्होंने सम्पूर्ण छात्र जीवन को अपनाए भी रखा।
आईआईएम के इस आयोजन में राज्य सरकार ने देशभर के विषय विशेषज्ञों के साथ विकसित छत्तीसगढ़ की डिजाईन तथा क्रियान्वयन के रोड मैप पर बौद्धिक विमर्श किया। साथ ही इस संबंध में भी विमर्श हुआ कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए किस तरह विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किए जा सकते हैं।
इस सार्थक संवाद की खूबी यह रही कि इसमें छत्तीसगढ़ की जरूरतों, प्राथमिकताओं, संभावनाओं पर चर्चा के साथ-साथ विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण सुझाव भी सरकार को प्राप्त हुए।
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने आगामी 10 वर्षाें में विकसित छत्तीसगढ़ निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 10 वर्षाें में देश की अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई दी है।
सामाजिक-आर्थिक विकास को लेकर छत्तीसगढ़ में अपार संभावनाएं हैं। देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने में छत्तीसगढ़ महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी 20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक सुन्दरता भी है और प्रचुर खनिज संपदा भी।
राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए खनिजों का विवेकपूर्ण दोहन जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण यहां पर पर्यटन की संभावनाओं का विकास और उसकी ब्रांडिंग भी है।
आयोजन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ उपमुख्यमंत्री द्वय अरूण साव एवं विजय शर्मा, आदिम जाति विकास एवं कृषि मंत्री राम विचार नेताम, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, वन एवं जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप, वाणिज्य उद्योग एवं श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाडे, खेलकूद एवं युवा कल्याण मंत्री टंक राम वर्मा उपस्थित थे।