भाजपा ने अब देश के पूर्वी राज्य ओडिशा में भी सरकार बना ली है।
यहां पहली बार भाजपा सत्ता में आई है और नवीन पटनायक का 24 साल का शासन समाप्त हो गया है। भाजपा के सीएम मोहन चरम माझी ने कल शपथ ली तो उनके साथ दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए हैं।
डिप्टी सीएम के तौर पर पार्वती परीदा और केवी सिंह देव ने शपथ ली है। इस तरह ओडिशा भी अब उन राज्यों में शुमार हो गया है, जहां दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं।
दरअसल भाजपा की यह रणनीति रही है, जिसके तहत वह ज्यादातर राज्यों में दो उपमुख्यमंत्री बना रही है। यह सिलसिला पार्टी ने 2017 में उत्तर प्रदेश से शुरू किया था।
तब भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के साथ केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया था। इसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी उसने उपमुख्यमंत्री बनाए हैं। अब ओडिशा ऐसा 5वां बड़ा राज्य हैं, जहां भाजपा ने डिप्टी सीएम दिए हैं।
इसके अलावा महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार भी इसी पैटर्न से चल रही है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इसके जरिए जातिगत समीकरणों को साधने में मदद मिलती है।
जैसे यूपी की ही बात करें तो योगी यदि राजपूत समाज के हैं तो वहीं ब्रजेश पाठक ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। केशव प्रसाद मौर्य को ओबीसी समाज के तौर पर प्रतिनिधित्व मिला है।
ऐसी ही मॉडल एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में रहा है। सभी राज्यों में डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री अलग-अलग समुदायों के रहे हैं। लेकिन इस मामले में गुजरात एक अपवाद है।
यहां भाजपा ने डिप्टी सीएम वाला मॉडल लागू नहीं किया है। यूपी में तो जब 2022 के चुनाव के बाद डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा हटाए गए तो उनके स्थान पर भी उसी समाज से ब्रजेश पाठक को लिया गया।
इस तरह सामाजिक समीकरण डिप्टी सीएम के तौर पर साधे जा रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनाने की वजह जातिगत समीकरण नहीं बल्कि तीन दलों को प्रतिनिधित्व देना है।
हालांकि एक दिलचस्प तथ्य यह है कि मोदी और अमित शाह के दौर में कई राज्यों के उपमुख्यमंत्रियों को सूबे से हटाकर राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया गया।
त्रिपुरा के बिप्लब देब, झारखंड के रघुबर दास, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत इसके उदाहरण हैं।
रघुबर दास अब राज्यपाल हैं तो वहीं बाकी नेता सांसद हैं। यहां तक कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में तो पार्टी ने मध्य प्रदेश में बड़ी जीत भी हासिल की थी, लेकिन उनके स्थान पर मोहन यादव को सीएम बनाया गया। अब शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बन गए हैं।