रायपुर : ‘पैराटैक्सोनॉमी एवं बायोडायवर्सिटी संरक्षण’ प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ…

प्रशिक्षण से जैव विविधता के संरक्षण, संवर्धन व उचित प्रबंधन में मिलेगी मदद

जैव विविधता प्रबंधन समिति क्षेत्र के जीवविज्ञान में स्नातक छात्र-छात्राओं को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

क्षेत्र में जीव जंतु एवं पौधों, वनस्पति प्रजातियों की पहचान करने, उनके औषधीय उपयोग को जानने में सहायक होगा यह प्रशिक्षण

जैवविविधता से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में ‘‘पैराटैक्सोनॉमी एवं जैवविविधता संरक्षण’’ हेतु 22 जुलाई से राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के कैम्पस में 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

वनमंत्री केदार कश्यप के दिशा-निर्देश पर आयोजित इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रदेश में जैव विविधता के संरक्षण, संवर्धन और उचित प्रबंधन में मदद मिलेगी।

यह प्रशिक्षण कार्यकम छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड, राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ठैप्) कोलकाता के सहयोग से आयोजित किया गया है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, तथा छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण के प्रथम चरण में 66 युवाओं हेतु प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है, जिसमें से 48 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित हुए हैं।

पैराटैक्सॉनामी तकनीकी प्रशिक्षण किसी पौधे की पहचान, उसके गुणों व उपयोग को जानने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।

प्रशिक्षणार्थियों को यह प्रशिक्षण बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों (त्मेवनतबम च्मतेवद) के द्वारा दिया जा रहा है।

इस प्रशिक्षण में सभी वनमंडलों में गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति (बी.एम.सी.) के अंतर्गत आने वाले जीवविज्ञान में स्नातक छात्र-छात्राओं को चयनित कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

ये प्रशिक्षित छात्र-छात्राएं अपने बी.एम.सी. समिति तथा प्रत्येक ग्राम में जाकर 12 वीं पास विद्यार्थियों तथा व्यक्तियों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण का मुख्य बिंदु उनके क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव जंतु एवं पौध, वनस्पति प्रजातियों की पहचान करना, उनके औषधीय उपयोग को जानना, उनके उत्पादन की मात्रा को जानना है तथा उनके क्षेत्रों से कौन-कौन व्यक्ति, संस्था उत्पादन क्रय कर ले जा रहा है।

इससे ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं से जैवविविधता अधिनियम के अनुसार ए.बी.एस. की राशि प्राप्त कर बी.एम.सी. के खाते में जमा कर सकेंगे तथा इस प्राप्त राशि से क्षेत्र की जैवविविधता के संरक्षण व संवर्धन पर कार्य कर सकेंगे।

इसके माध्यम से प्रत्येक स्थानीय निकाय के सम्पूर्ण क्षेत्र में गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति (बी.एम.सी.) के सदस्यों को जानकारी उपलब्ध हो सकेगी कि उनके क्षेत्र के अंतर्गत कौन-कौन से जैव संसाधन उपलब्ध हैं और उनका क्या उपयोग है, उनका संरक्षण, संवर्धन व उचित प्रबंधन किस प्रकार किया जा सकता है।

प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि इस प्रशिक्षण उपरांत 4-5 ग्रामों के बीच एक प्रशिक्षित युवा को रखकर विभागीय कार्यों के साथ समन्वय किया जा सकेगा।

राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के डायरेक्टर बी. आनंद बाबू द्वारा इन प्रशिक्षित युवाओं को स्थानीय ग्रामीणों के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें प्रैक्टिकल प्रशिक्षण प्रदान करने तथा पी.बी.आर. तैयार होने के बाद बी.एम.सी. एक्शन प्लान तैयार करने एवं कार्ययोजना तैयार करने में उपयोगी सुझाव दिए गए।

प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर डॉ. ए.ए. मावो, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. दास उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *