नौजवान ज़िले के सीने में हैं कई ज़ख्म! आख़िर कौन करेगा सही इलाज? उठ रहे सवाल…

सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक, छत्तीसगढ़):

धमतरी- जिले की इन दिनों असली तस्वीर सबके सामने निकल कर आ चुकी है, जहां सरकारी तंत्र के विकास के दावों और वादों की पोल खुलकर सामने आ चुकी है।

मालूम हो कि धमतरी को जिला बने लगभग 26 साल हो रहे है, वहीं नगर पालिका वजूद में आई सन् 1922 में जिसे नगर निगम बने भी लगभग 10 साल होने जा रहे हैं, जिले व शहर के वजूद में आने के इतने लंबे समय के बाद भी आज जिला मूलभूत व आवश्यक जरूरतों को लेकर काफी पिछड़ा हुआ है। नेता चुनावों के समय बहुत सी बड़ी बड़ी बातें कर सत्ता की कुर्सी में काबिज तो हो जाते हैं, लेकिन आज तक वे जनता की आकांक्षाओं में खरे नहीं उतर पाए, और न ही उस स्तर पर जिले व शहर का विकास ही कर पाए जितना होना चाहिए था। 

जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण इन दिनों खुलकर जिले राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ रहे हैं। 

इन मामलों में मुख्य रूप से शहर की सड़कें हैं, जो इन दिनों अपने ही वजूद के ज़ख्मों से छलनी है, इन सड़कों में रत्नाबांधा चौक से दुर्ग रोड हो, या सिहावा रोड, कोलियारी खरेंगा रोड, अछोटा का पुल, या फिर शहर की अंदरूनी सड़कें, सभी की हाल बद से बदतर हो चुकी है, इतना ही नहीं लगभग 17 करोड़ की लागत से बनी शहर की मुख्य सड़क जिसके लिए शहरवासियों ने 10 साल का लंबा इंतजार किया, वो अपने निर्माण के 1 माह के अंदर ही अपनी गुणवत्ता का प्रमाण सबके सामने रख चुकी है।

हालांकि विभागीय सूत्र बताते है कि सड़कों की मरम्मत जल्द ही की जाएगी। जिसकी शुरुआत दुर्ग रोड से हो चुकी है। लेकिन इतनी घटिया क्वालिटी की सड़कों के निर्माण को देख शहरवासी काफी ठगा हुआ महसूस कर रहे। वहीं भ्रष्टाचार की बातें भी खुलकर हो रही हैं। जानकारों का कहना है कि यदि निर्माण की स्वीकृत राशि का पूरा पूरा सही तरीके से उपयोग किया जाए तो निर्माण कार्य की गुणवत्ता कई गुना बेहतर होगी, लेकिन कमीशनखोरी नामक दीमक ने सभी तरह से निर्माण कार्यों को खोखला कर डाला है। 

जलभराव, बाढ़ से आवागमन अवरुद्ध

शहर समेत जिलेभर के बहुत से इलाकों से जलभराव की बहुत सी तस्वीरें सुखियों में बनी हुईं हैं, जबकि बारिश के पूर्व बड़े बड़े दावे किए गए, सफाई को लेकर खूब खर्चा भी किया गया, लेकिन वर्तमान स्थिति बीते वर्षों से अलग नहीं। 26 साल के नौजवान जिले में आज भी बहुत से इलाकों में बारिश के चलते आवागमन रुक चुका है, जो यहां के विकास को दर्शाता है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा?

बदहाल स्कूल भवन 

अभी राज्य में स्कूल खुले मात्र 1 महीने ही हुए है, जहां स्कूल खुलने के पहले ही राज्य शासन की ओर से सभी स्कूल भवनों समेत अन्य आवश्यक कमियों को दूर करने के आदेश जारी किए गए, लेकिन मात्र 15 दिन की बारिश ने सभी दावों की पोल खोल कर रख दीं, जिले भर के बहुत से स्कूल जलभराव की स्थिति से जूझ रहे, जिसके कारण स्कूलों में ताले लग रहे, नगरी के एक स्कूल की बाउंड्री गिरने से मासूम कमार बच्ची की मौत हो गई, कई स्कूलों में बच्चे पानी टपकती छत के नीचे पढ़ाई करने मजबूर, कहीं छतों के प्लास्टर टूटकर गिर रहे, दीवारों में दरारें आ रहीं, तो बहुत से स्कूलों में शिक्षकों की कमी!

जिले की ये वास्तविक स्थिति इन दिनों उजागर हो चुकी है। अब सवाल ये उठता है कि जिले में करोड़ों अरबों के विकास कार्य किए जा रहे हैं, नेता खूब हांकते, फोटो वायरल करते भी नजर आते है, अधिकारी भी अपनी पीठ थपथपाते नजर आते हैं, लेकिन फिर भी जिले की तस्वीर वैसी की वैसी ही नजर आ रहीं। इन सब बदहालियों का असली जिम्मेदार आखिर कौन है? चर्चा व्याप्त।

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