भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देश कम प्रतिव्यक्ति आय के जाल में फंसे हुए हैं।
विश्वबैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अगले दशकों में भी भारत की प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ने वाली नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के चौथाई तक पहुंचने में भारत को अभी 75 साल का वक्त लग जाएगा। वहीं चीन इस स्थिति में 10 साल बाद ही पहुंच जाएगा। इंडोनेशिया को इतनी प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने में 70 साल लगेंगे।
पिछले 50 साल के आर्थिक विकास का विश्लेषण करने पर पता चला कि जब कोई भी देश अमेरिका की जीडीपी पर कैपिटा के 10 फीसदी के बराबर पहुंचता है तो वह एक जाल में फंस जाता है।
फिलहाल यह 8 हजार अमेरिकी डॉलर के बराबर है। विश्वबैंक ने मध्य आय वाले देशों की सूची बनाई है। 2023 के आखिरी में 108 ऐसे देशों की पहचान की गई जो कि मध्य आय की श्रेणी में आते हैं।
इनकी जीडीपी पर कैपिटा 1136 से 13845 डॉलर के बीच है। ये दुनियाभर की आबादी के 75 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन देशों में 6 अरब लोग रहते हैं। वहीं तीन में से दो लोग बेहद गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं।
इन देशों के सामने आगे और भी बड़ी चुनौती आ सकती है। दरअसल इन देशों पर कर्ज बढ़ रहा है और लगातार बड़ी आबादी बूढ़ी हो रही है।
इन देशों के पास व्यापार और भूराजनैतिक समस्याएं हैं। इसके अलावा पर्यावरण भी एक बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के चलते पर्यावरण का खयाल रखते हुए ही आर्थिक विकास करना है।
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि अगर ठीक से रणनीति ना बनाई गई तो अगले 30 साल में भी इन देशों की प्रति व्यक्ति आय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होने वाली है।
साल 2024 तक की बात करें तो भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2700 डॉलर है। वहीं प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति क्षमता करीब 10120 डॉलर है।
भारत की जीडीपी 3.9 ट्रियल डॉलर की है। भारत तेजी से दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ रहा है।