समझें शनि के नीच के और उच्च का गणित, साढ़ेसाती में भी होता है धनलाभ…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

शनि के नीच के होने और शनि के उच्च के दोनों में बहुत फर्क है।

अगर आपकी राशि में शनि नीच का है तो काम के सफल होने में देर लगेगी। लेकिन अगर आपकी कुंडली में शनि उच्च का है,तो थोड़ा सा भी काम कर लें, तुरंत सफल हो जाएंगे।

इस बात को समझें कि शनि और सूर्य एक साथ उच्च के नहीं होते है। शनि धीमा ग्रह है। कहते हैं कि शनि फल भी धीरे-धीरे देते हैं और दंड भी धीरे-धीरे देते हैं।

शनि सभी को न्याय देता है और सिर्फ अपने कर्मों के अनुसार ही सही किया जा सकता है।

शनि को सिर्फ अपने कर्मों से पलटा जा सकता है, अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो शनि आपसे खुश रहेंगे। इसलिए शनि से घबराने की जरूरत नहीं हैं, बस कर्मों को सही करने की जरूरत है। लेकिन कुंडली में शनि की स्थिति पर विचार किया जाना चाहिए। 

कराता है धन हानि

अगर शनि आपकी कुंडली में नीच का है तो आपको शनि आर्थिक लाभ नहीं कराता, इसकी जगह आपका नुकसान होता है। फिर जब शनि को न्यायप्रिय कहा जाता है तो धीरे-धीरे अगर कर्म अच्छे हैं, तो लाभ कराएगा।

अगर शनि आपकी कुंडली में तीसरे,छठे और ग्यारवें भाव में बैठा है तो शनि की साढ़ेसाती भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।

कुंडली की इस स्थिति में शनि आपको आर्थिक लाभ देता है, फिर चाहते साढ़ेसाती हो या फिर शनि की महादशा, आपको शनि खुश रखेंगे।

किस राशि में शनि नीच के होते हैं

मेष राशि में शनि नीच के होते हैं। जहां सूर्य उच्च का होता है, वहां शनि नीच के होते हैं।  इन लोगों को आलस त्याग देना चाहिए।

इन लोगों को चुटकियों में कुछ नहीं मिलता। इसके लिए आपको मेहनत करनी होगी। किसी की मेहनत का फायदा न उठाएं। अपने नीचे काम करने वालों को खुश रखें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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