प्रेमी संग भागी दुल्हन के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट पहुंचे दूल्हे के पिता, कहा- हमारी बदनामी हुई, इंसाफ कीजिए मीलॉर्ड…

मुंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को पुणे के एक व्यक्ति द्वारा अपने होने वाली बहू के खिलाफ दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया।

युवती  शिकायतकर्ता के बेटे के साथ शादी से कुछ दिन पहले अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। अदालत ने कहा कि लड़की का किसी को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने की। उन्होंने इस स्थिति को “अफसोसजनक” बताया और माना कि युवती अपने माता-पिता को प्रेम संबंध के बारे में नहीं बता सकी।

अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि लड़की या उसके परिवार की ओर से शिकायतकर्ता या उसके रिश्तेदारों को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था।

मामला मई 2022 का है। हाई कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना का उल्लेख किया, जिसमें युवती ने परिवार और सामाजिक अपेक्षाओं को दरकिनार करते हुए अपनी पसंद के व्यक्ति से प्रेम कर लिया।

हालांकि, वह अपने परिवार को इस रिश्ते के बारे में बताने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। उसके परिवार ने गलती से यह मान लिया कि उसकी चुप्पी तय की गई शादी के लिए सहमति है, जिसके कारण उन्होंने शिकायतकर्ता के बेटे के साथ उसकी सगाई तय कर दी और एक मई 2022 को शादी की तारीख तय कर दी।

लड़की धोखा नहीं देने चाहती थी

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आवेदकों (महिला और उसके परिवार) को कथित अपराध से कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ, बल्कि इसके विपरीत, युवती के प्रेमी के साथ चले जाने की घटना के बाद उन्हें भी बदनामी झेलनी पड़ी और शर्मिंदगी उठानी पड़ी।

हाई कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी के अपराध को साबित करने के लिए शिकायत में आरोपी की ओर से धोखाधड़ी और बेईमानी का इरादा दर्शाया जाना चाहिए और वर्तमान मामला प्रथम दृष्टया ‘धोखाधड़ी’ के संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करता है।

अदालत ने कहा, “इसमें किसी भी तरह की बेईमानी या धोखा देने के इरादे की कोई गंध नहीं है। यह एक परेशान युवती का मामला है जो अपने माता-पिता के निर्णय के साथ चली गई और उस व्यक्ति (उनकी पसंद) से विवाह करने को तैयार हो गई, लेकिन अंतिम समय में विवाह के दिखावे में शामिल होने को लेकर उसके मन में डर पैदा हो गया।”

अदालत ने कहा कि महिला द्वारा अपने माता-पिता को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपने रिश्ते के बारे में बताने का साहस न कर पाने को “धोखाधड़ी” नहीं माना जा सकता, और इसलिए उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

अदालत ने कहा, “चुप रहने का निर्णय अधिक से अधिक अविवेकपूर्ण हो सकता है, लेकिन बेईमानी नहीं।” इसने साथ ही कहा कि महिला या उसके परिवार की ओर से शिकायतकर्ता या उसके परिवार के सदस्यों को धोखा देने की कोई मंशा नहीं थी।

गौरतलब है कि महिला और उसके माता-पिता द्वारा चुने गए लड़के की सगाई हो गई थी और शादी की तारीख एक मई 2022 तय की गई थी।

शादी से कुछ दिन पहले महिला अपने प्रेमी के साथ चली गई, जिसके बाद उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई।

महिला के होने वाले ससुराल वालों ने उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई।

उनका आरोप था कि उन्होंने महिला के किसी दूसरे व्यक्ति से संबंध की बात उनसे छिपाई और इस तरह उनके साथ धोखाधड़ी की तथा उन्हें बदनाम किया।

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