पाकिस्तान से अलग होने को बेकरार 40 फीसदी इलाका, भारत के लिए क्या हैं बलूचिस्तान के मायने…

कश्मीर में दहशत फैलाने की साजिश रचने वाला पाकिस्तान अपने ही एक बड़े प्रांत में कलह को रोक नहीं पा रहा है।

पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में आए दिन उग्रवादी हमला करके लोगों की हत्या कर देते हैं। 26 अगस्त को 24 घंटे में ही बलूच उग्रवादियों ने अलग-अलग जगहों पर कम से कम 70 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

उन्होंने पहचान जानने के बाद मुसाफिरों की हत्या कर दी। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। मुसाखेल में बसों को रोका गया और कम से कम 23 पंजाबियों को मार दिया गया।

बलूचिस्तान में यह कोई नई बात नहीं है। इसी साल अप्रैल में भी नोशकी शहर के पास उग्रवादियों ने पंजाबी यात्रियों की हत्या कर दी थी। इसके अलावा केच में छह पंजाबी मजदूरों को मार दिया गया था।

कौन हैं बलूच और क्यों करते हैं हमले?

बलूचिस्तान का क्षेत्रफल पाकिस्तान के कुल एरिया का 40 फीसदी है। उस लिहाज से यहां जनसंख्या ज्यादा नहीं है। यहां पर मलूच ही बहुसंख्यक हैं। बलूचों का कहना है कि उनकी सभ्यता 5 हजार साल पुरानी है और पाकिस्तान के आम मुसलमानों से अलग है।

ऐसे में वे अलग राष्ट्र की मांग लंबे समय से करते आए हैं। बलूचिस्तान अफगानिस्तान से लगा हुआ है। उनका कहना है कि पाकिस्तान हमेशा ही यहां के लोगों के साथ भेदभाव करता आया है। पाकिस्तान की सरकार यहां के प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करती है और बदले में यहां के लोगों को कुछ नहीं मिलता।

बलूचों का मानना है कि उनकी बदहाली के पीछे सबसे बड़ी वजह पंजाबी हैं। पाकिस्तान के पंजाब के लोगों का सरकार में भी प्रतिनिधित्व ज्यादा है।

वहीं बलूचिस्तान में भी बड़ी संख्या में पंजाबी काम करने आते हैं। ऐसे में बलूचों का मानना है कि पंजाबी उनके अधिकारों का हनन कर रहे हैं। बलूचिस्तान खनिज संपदा से संपन्न है।

यहां 40 फीसदी से ज्यादा गैस का प्रोडक्शन होता है। इसके अलावा कॉपर और गोल्ड भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 26 अगस्त का दिन बलूचों के लिए खास इसलिए है क्योंकि 18 साल पहले इसी दिन उनके नेता नवाब अकबर खान बुगती की पाकिस्तान की सरकार ने हत्या करवा दी थी। उस समय परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति थे।

बलूचों की भाषा और संस्कृति भी अलग

बलूचों की भाषा और संस्कृति बाकी पाकिस्तान से अलग है। ये लोग बलूची बोलते हैं। वहीं पाकिस्तान में उर्दू या फिर पंजाबी बोली जाती है।

बलूचों को अपनी संस्कृति को लेकर भी डर सता रहा है। उन्हें लगता है कि पाकिस्तान उनकी भाषा और संस्कृति को खत्म कर देना चाहता है। ऐसे में वे चाहते हैं कि पाकिस्तान के अन्य प्रांतों से लोग बलूचिस्तान में ना आएं। इसके अलावा जब यहां से खनिज संपदा को लेकर वाहन निकलते हैं तो बलूच उग्रवादी उन्हें लूट लेते हैं।

बलूचों पर अत्याचार करता है पाकिस्तान

पाकिस्तान बलूचों पर हमेशा से अत्याचार करता आया है। बलूचिस्तान का सपोर्ट करने वाले लोग एक्स्ट्रा जूडिशल किलिंग का शिकार बन जाते हैं। एक एनजीओ की मानें तो 2001 से 2017 के बीच करीब 20 हजार बलूच लापता हो गए।

चीनियों से चिढ़ते हैं बलूच

बलूच आर्मी के लोग चीन के नागरिकों को भी अकसर निशाना बनाते हैं। दरअसल बलूच की खदानों को पाकिस्तान ने चीन को लीज पर दे रखा है। वहीं सीपीईसी का बड़ा हिस्सा भी बचूचिस्तान से होकर गुजरता है। बलूचों का कहना है कि चीन उनपर हमला करने के लिए पाकिस्तान को हथियार मुहैया करवाताहै। सीपीईसी में ग्वादर पोर्ट भी आता है जो कि हिंसा का कारण रहा है।

भारत के लिए क्या हैं मायने

पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया के मुताबिक इस्लामाबाद लगातार आरोप लगाता है कि भारत बलूचों की मदद करता है। उसका कहना है कि ईरान बलूचों का पनाहगाह है। हालांकि भारत इस बात को गंभीरता से नहीं लेता है। भारत कई बार इन आरोपों को खारिज भी कर चुका है।

अब बलूच उग्रवादियों को तहरीके तालिबान पाकिस्तान का भी साथ मिल रहा है। यूके और यूएस ने इन संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। वहीं पाकिस्तान में चल रही यह कलह उसके लिए बड़ी नजीर है।

एक तरफ वह भारत को तोड़ने की साजिश में लगा रहता है तो दूसरी तरफ उसका 40 फीसदी हिस्सा अलग होने को तैयार है।

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