राधा अष्टमी व्रत का होता है विशेष महत्व, श्री कृष्ण भी होते हैं प्रसन्न…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

हिंदू सनातन धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधारानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। राधा अष्टमी पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही व्रत रखा जाता है।

इस दिन राधा रानी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। राधा रानी की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विवाहित जीवन खुशहाल रहता है।

यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर की रात 11:11 बजे होगी, समापन 11 सितंबर की रात 11:46 बजे होगा।

उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो लोग राधा रानी जी को प्रसन्न कर लेते हैं।

उनसे भगवान श्री कृष्णा अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

राधा रानी के विना भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। इसलिए राधा अष्टमी का त्यौहार भी कृष्ण जन्माष्टमी की तरह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

राधा अष्टमी महत्व-

राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। 

संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं

व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

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