आज परिवर्तिनी, वामन एकादशी, पढ़ें राजा बलि से जुड़ी यह…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

आज परिवर्तिनी एकादशी है, इसे वामन एकादशी भी कहते हैं।

कहते हैं कि इस दिन क्षीर सागर में सोए हुए भगवान विष्णु नींद में करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं।

इसकी कथा इस प्रकार हैं- भगवान कृष्ण युधिष्ठिर को बताते हुए कहते हैं-त्रेतायुग मेंप्रह्लाद का पौत्र राजा बलि राज्य करता था।ब्राह्मणों का सेवक था और भगवान विष्णु का भक्त था।

इंद्रादिक देवताओं का शत्रु था। उसने अपने भुजबल से देवताओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया। देवताओं को दुखी देखर भगवान ने बावन उड्गल का रूप धारण किया। उन्होंने बलि के द्वार पर आकर कहा कि मुझे तीन पग धरती का दान चाहिए।

बलि राजा बोले- तीन लोक दे सकता हूं, विराट रूप धारण कर नाप लो। विष्णुरूपी भगवान वामन का आकार बढ़ना शुरू हो गया। उनके आकार ने अंतरिक्ष के छोर को छू लिया था। उन्होंने अपने दो पग में ही पृथ्वी, आकाश और ब्रह्मांड को नाप लिया था।

उन्होंने राजा बलि से पूछा, “हे दानवेंद्र! अब मैं अपना तीसरा पांव कहां रखूं इस पर राजा बलि भगवान वामन को प्रणाम करते हुए कहा, “हे प्रभु! आप अपना तीसरा पग में मेरे सिर पर रखें।”

भगवान वामन ने ऐसा ही किया और राजा बलि के सिर पर पांव रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। जब भगवान चरण उठाने लगे तो कहां भगवन आपके मन मंदिर में रहूंगा। तब भगवान ने कहा कि अगर तुम बावन एकादशी का व्रत करोगे तो मैं द्वार पर कुटिया बनाकर रहूंगा।

राजा बलि ने विधि सहित व्रत किया। तब से भगवान ने एक कुटिया पाताल लोक में और एक क्षीर सागर में बनवाई।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

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