कौन थे अंग्रेज अफसर आर्चीबाल्ड ब्लेयर,जिनके नाम पर था अंडमान-निकोबार की राजधानी का नाम…

केंद्र की मोदी सरकार ने अंडमान-निकोबार की राजधानी पोर्टब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर दिया है।

इसका नाम 1789 में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी आर्चीबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर इसका ऐलान किया।

उन्होंने कहा कि देश को औपनिवेशिक छाप से मुक्त करने के लिए पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजया पुरम’ करने का फैसला किया गया है।

पहले के नाम में औपनिवेशिक छाप थी। वहीं अब नया नाम स्वतंत्रता संग्राम की जीत का प्रतीक है। अंडमान-निकोबार में ही चोल साम्राज्य के समय नेवल बेस हुआ करता था।

इसके अलावा सुभाष चंद्र बोस ने यहां तिरंगा लहराया था और यहीं की सेल्युलर जेल में वीडी सावरकर को रखा गया था।

कौन थे अंग्रेज अफसर, जिनके नाम पर था पोर्टब्लेयर

पोर्टब्लेयर शहर एक समय फिशिंग का हब हुआ करता था। वहीं ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटेन की उपनिवेश बनाने में बड़ी मदद करने वाले अंग्रेज नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ट ब्लेयर के नाम पर इस द्वीप का नाम रख दिया गया।

दरअसल अंग्रेजों ने इसका नाम इसलिए भी अधिकारी के नाम पर रखा क्योंकि औपनिवेशिक शासन के लिहाज से अंडमान निकोबार द्वीपसमूह बहुत जरूरी था। यहां से सुदूर इलाकों पर नजर रखना आसान था।

1789 में बंगाल सरकार ने ग्रेड अंडमान की खाड़ी में चाथम द्वीप को उपनिवेश बनाया। इसी का नाम आर्चीबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रख दिया गया।

अंडमान और निकोबार को विकसित करने में ब्लेयर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्वी बंगाल की खाड़ी में आधिपत्य जमाने के लिए पोर्टब्लेयर को कब्जे में लेना अंग्रेंजों के लिए जरूरी था।

इसके अलावा यहां से प्रशासनिक और व्यापारिक गतिविधियां भी चलाई जाती थीं। सभी द्वीपों पर अपना अधिकार जमाने के लिए पोर्ट ब्लेयर ही आवश्यक था।

कुछ समय में ही ब्लेयर के नेतृत्व में इस द्वीप समूह का कायाकल्प किया गया और इसे ब्रिटिश मैरिटाइम नेटवर्क का केंद्र बना दिया गया।

यह जगह पहले भी फिशिंग के लिए जानी जाती थी। अंग्रेजों को इससे भी काफी फायदा मिला। वहीं अब सरकार ने औपनिवेशिक निशान मिटाने के लिए इसका नाम ‘श्री विजयपुरम कर दिया है। ‘

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