रूस और ईरान के बीच सीक्रेट डील का खुलासा, व्लादिमीर पुतिन के इरादों से अमेरिका-ब्रिटेन को टेंशन…

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण संघर्ष और युद्धविराम के प्रयासों के बीच अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों ने व्लादिमीर पुतिन के खतरनाक इरादों पर चिंता जताई है।

रिपोर्ट है कि रूस और ईरान के बीच सीक्रेट डील हुई है। जिसमें रूस ईरान को परमाणु संपन्न देश बनाने के लिए गुप्त सूचना और टेक्नोनॉजी की मदद कर रहा है, बदले में ईरान रूस को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में बैलिस्टिक मिसाइलें दे रहा है।

कुछ दिन पहले यूक्रेन ने पश्चिम सहयोगियों से विनती की थी कि उसे भी कम दूरी की मिसाइलों की मदद दी जाए क्योंकि रूस को ईरान से फतह-360 समेत कई बैलिस्टिक मिसाइलें मिल रही हैं।

मामले से परिचित अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्रेमलिन (रूस) ने हाल के महीनों में परमाणु हथियार प्राप्त करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर ईरान के साथ अपना सहयोग बढ़ाया है।

उन्होंने बताया कि इस सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारियों ने इस बात पर चर्चा की। ब्रिटिश प्रधान मंत्री स्टार्मर और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे चिंताजनक माना है।

व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता के अनुसार, बाइडेन का प्रशासन ईरान की परमाणु गतिविधियों से बहुत चिंतित है।

प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि बाइडेन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरान द्वारा किसी भी परमाणु वृद्धि को रोकने के लिए अमेरिका पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।

उधर, रूस के विदेश मंत्रालय और वियना में ईरानी दूतावास ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

इससे पहले अमेरिका और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने रूस और ईरान के बीच नई डील को लेकर चिंता जताई थी। तब यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि ईरान रूस को बैलिस्टिक मिसाइलें सप्लाई कर रहा है।

हालांकि युद्ध के दौरान रूस द्वारा ईरानी मिसाइलों के इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हो पाई थी। इससे पहले रूस यूक्रेन हमलों में ईरानी ड्रोनों का इस्तेमाल कर चुका है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में कहा, एंटनी ब्लिंकन और ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी लंदन में बातचीत के दौरान इस बात पर सहमत हुए कि “ईरान का परमाणु कार्यक्रम कभी भी इतना उन्नत नहीं था।”

उधर, ईरान इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि वह परमाणु हथियार बनाने पर विचार नहीं कर रहा है, हालांकि चिंता जरूर जताई कि वह इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के जवाब में उनका निर्माण कर सकता है।

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