रायपुर : चक्रधर समारोह-2024 : क्लासिकल आर्ट को बनाए रखने में योगदान दें : जस्टिस संजय अग्रवाल…

जस्टिस अग्रवाल ने कलाकारों का किया सम्मान

कुचिपुड़ी के नृत्यांगनाओं ने गणपति और शिव वंदना को नृत्य में पिरोया

प्रभु श्री रामलला के जीवन दर्शन और श्रीगणेश वंदना ने महफिल का मन मोहा

पौशाली चटर्जी ने राधा-कृष्ण होली, कृष्ण और सखा के माखनचोरी को मणिपुरी नृत्य से किया जीवंत

सुर-ताल, लय तथा छंद और घुंघरू के संगीतबद्ध 39 बरस के इस चक्रधर समारोह में आज आठवें दिन मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और सतना सहित रायगढ़ घराना के कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मणिपुरी और शास्त्रीय गायन ने रसिकजनों व दर्शकों को मत्रमुग्ध कर दिया।

इन कलाकारों द्वारा शास्त्रीय संगीत से पिरोए हुए गणपति अराधना, शिववंदना, राधा-कृष्ण के रासलीला और कृष्ण व सखा के माखन चोरी की बेजोड़ एवं जीवंत प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर होने पर मजबूर कर दिया। वहीं रायगढ़ घराना के कथक की शानदार प्रस्तुति ने समारोह में विशेष छटा बिखेरा।  

चक्रधर समारोह में शामिल हाईकोर्ट जस्टिस संजय अग्रवाल ने कार्यक्रम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि क्लासिकल आर्ट धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

क्लासिकल आर्ट को बनाए रखने के लिए हमें योगदान देने की जरूरत है। कार्यक्रम के माध्यम से मंच देकर क्लासिकल आर्ट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में रायगढ़वासियों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि अनुभव और एनर्जी से कला को और आगे बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने सभी कलाकारों को शुभकामनाएं और बधाई भी दी। समारोह में हाई कोर्ट जस्टिस संजय अग्रवाल, सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार जैन, कलेक्टर कार्तिकेया गोयल, एसपी दिव्यांग पटेल ने मुंबई की भरतनाट्यम कलाकार कृष्णभद्रा नम्बूदरी, मणिपुरी नृत्यांगना सुश्री पौशाली चटर्जी तथा शास्त्रीय गायक श्री विनोद मिश्रा को सम्मानित किया।

कोलकाता की पौशाली चटर्जी ने राधा-कृष्ण होली, कृष्ण और सखा के माखनचोरी को मणिपुरी नृत्य के माध्यम से दर्शकों के सामने पेश की। वहीं मुंबई की प्रख्यात भरतनाट्यम कलाकार सुश्री कृष्णभद्रा नम्बूदरी ने दक्षिण भारत के मंदिरों में प्रस्तुत गणेश वंदना को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया।

कार्यक्रम में सतना से आए विख्यात संगीतकार श्री विनोद मिश्रा ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। इसी तरह डॉ.रघुपतरुनी श्रीकांत के नेतृत्व में गणपति और शिव वंदना, विवाह के अवसर को बहुत ही द्रुत गति से भावभंगिमाओं के साथ कलाकारों ने मंच पर प्रस्तुति देकर दर्शकों को अपनी ओर लगातार देखने को मजबूर किया।

इसी तरह कथक नृत्य के साथ नृत्यांगनाओं ने भी अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से मंच पर खुशबू बिखेरी। शिव की उपासना और कृष्ण रास लीला से माहौल भक्तिमय हो गया। नन्हीं कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

चक्रधर समारोह के आठवें दिन रायगढ़ के कलाकारों ने मंच पर प्रथम प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शुरूआत की। सर्वप्रथम सुश्री अनन्ता पाण्डेय और शाश्वती बनर्जी ने कथक नृत्य कर खूब तालियाँ बटोरी। शाश्वती बनर्जी ने शिव की उपासना को अपने नृत्य में प्रस्तुति दी।

इसी सुश्री तब्बू परवीन के नेतृत्व में उनकी शिष्याओं ने कथक को कृष्ण रासलीला के रूप में बहुत ही सुंदर रूप में मंचन किया। नन्हीं कलाकारों ने अपनी खूबसूरती से दर्शकों को अपनी ओर बांधे रखा। सभी ने इस रासलीला की प्रशंसा की। इन सभी कलाकारों का अभिनंदन राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य अतिथियों ने शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह के साथ स्वागत-सम्मान किया।

कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में रायपुर की कथक कलाकार सुश्री संगीता कापसे, गीतिका चक्रधर और राधिका शर्मा ने मंच पर रामलला के जीवन दर्शन को नृत्य में प्रस्तुत किया।

वहीं कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में मुंबई की प्रख्यात भरतनाट्यम कलाकार सुश्री कृष्णभद्रा नम्बूदरी ने दक्षिण भारत के मंदिरों में प्रस्तुत गणेश वंदना को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया। उन्होंने तकनीकी टीम के सहयोग से भाव भंगिमाओं के साथ आकर्षक भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी।

कोलकाता की सुश्री पौशाली चटर्जी ने आकर्षक वेशभूषाओं में अपनी सहयोगियों के साथ मणिपुरी नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी। उन्होंने राधा-कृष्ण और गोपियों के साथ होली खेलने के भाव को जीवंत किया। पौशाली चटर्जी ने कृष्ण के बाल रूप को मंच पर माखनचोरी के दृश्य को मणिपुरी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।

सुश्री चटर्जी ने अपनी सहयोगियों के साथ मृदंग वादन और हाथों की तालियों को बहुत ही लयबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने वृंदावन का वर्णन और दशावतार को नृत्य में प्रस्तुत किया। नृत्यांगना पौशाली के साथ उनकी वरिष्ठ शिष्याएँ-श्रीपर्णा सरकार, मौमिता हाजरा, अंकिता घोराई और रत्ना मजूमदार और तन्मना रॉय और सुवरा भौमिक, झिनुक रॉय चक्रवर्ती ने प्रस्तुति दी। सतना से आए विख्यात संगीतकार विनोद मिश्रा (खयाल और ठुमरी ग्वालियर घराना) ने रागमाला, शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। उन्होंने मान जाओ सैंया..आ जा बलम परदेश… जैसे गीत अपने अंदाज में प्रस्तुत की। उनकी प्रस्तुति को श्रोताओं ने तन्मयता से सुना।

श्रीकाकुलम से आये कुचिपुड़ी के नृत्यांगनाओं ने संगीत के धुनों में अपने आपको आत्मसात करते हुए बहुत ही शानदार सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। डॉ.रघुपतरुनी श्रीकांत के नेतृत्व में गणपति और शिव वंदना, विवाह के अवसर को बहुत ही द्रुत गति से भावभंगिमाओं के साथ कलाकारों ने मंच पर प्रस्तुति देकर दर्शकों को अपनी ओर लगातार देखने को मजबूर किया।

शिवशक्ति उपासना का उनका यह नृत्य मनमोहक भी बना। गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली में भी कुचिपुड़ी का प्रदर्शन कर चुके कलाकारों ने दर्शकों की खूब वाहवाहियां बटोरी। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में दिल्ली से आए आलोक श्रीवास ने अपने प्रत्यंग का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए अपने मनमोहक कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। इस दौरान उनके साथ पढंत में भूपेंद्र बरेठ, गायन में साहिल सिंह, तबला में देवेंद्र श्रीवास तथा सारंगी में शफीक हुसैन ने साथ दिया।

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