पीएम मोदी के साथ अमेरिका क्यों नहीं गए NSA अजित डोभाल? US कोर्ट के समन पर छिड़ी बहस…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल का ना जाना बहस का विषय बन गया है।

अमेरिका के डेलावेयर के विलमिंगटन में क्वाड नेताओं की बैठक में ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान के शीर्ष नेता शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्तरी और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा दिखे। वहीं अजित डोभाल कहीं भी पीएम मोदी के साथ दिखाई नहीं दिए।

क्यों अमेरिका नहीं गए अजित डोभाल?

पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे संजय बारू ने ट्वीट कर कहा कि शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि पीएम के साथ एनएसए अमेरिका नहीं गए हैं।

दरअसल अमेरिका की एक कोर्ट ने उनके नाम से समन जारी कर दिया था। हालांकि वह समन फॉर्मली अभी भेजे नहीं गए हैं। ऐसे में कहा जा रहा कि समन के चलते ही वह अमेरिका नहीं गए।

क्यों जारी किया गया था समन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहल वाइट हाउस में खालिस्तान समर्थक नेताओं को भी बुलाया गया था और उनसे बात की गई थी।

अमेरिका के इस रुख की भारत में जमकर आलोचना हुई। वहीं खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिका में हत्या के प्रयास के आरोपों को लेकर न्यूयॉर्क की अदालत में एक याचिका फाइल की गई थी।

अदालत ने भारत के कई लोगों के नाम समन जारी कर दिया है। पीएम मोदी के अमेरिका रवाना होने से एक दिन पहले ही ये समन जारी किए गए हैं।

इस समन में अजित डोभाल समेत पूर् रॉ प्रमुख सामंत गोयल और निखिल गुप्ता जैसे लोगों का नाम है। इसके बाद भारत में इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई।

समन में 21 दिन के भीतर जवाब मांगा गया था जिसे विदेश मंत्रालय ने गैरजरूरी बताया है। कई रिपोर्ट्स में एनएसए के अमेरिका ना जाने की वजह समन होना नहीं बताया है।

घरेलू मुद्दों के चलते एनएसए नहीं गए अमेरिका?

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मुद्दों और व्यवस्तता के चलते वह अमेरिका नहीं गए। द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस तरह के समन पहले डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और कमलनाथ को भी भेजे गए थे। इसके अलावा गुजरात दंगे के बाद पीएम मोदी को भी समन भेजा गया था।

अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार जेक सुविलियन के साथ मिलकर अजित डोभाल ने iCET प्लैटफॉर्म को अंजाम तक पहुंचाया है। यह रक्षा उद्योग और टेलीकम्युनिकेशन से संबंधित है।

वहीं अजित डोभाल सितंबर के आखिरी सप्ताह में फ्रांस जाने वाले हैं। अक्टूबर में वह ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने रूस जाएंगे।

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