पूर्वजों का श्राद्ध करते समय इन 10 बातों का रखें ध्यान…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

सनातन धर्म में पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध पक्ष में तर्पण,श्राद्ध और पिंडदान के कार्य महत्वपूर्ण माने गए हैं।

इस वर्ष 18 सितंबर को अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी है,जिसका समापन 02 अक्टूबर को अमावस्या तिथि के दिन होगा।

इस दौरान कुतप काल में रोजाना तर्पण करें। मान्यता है कि पितरों के लिए हमेशा दोपहर में श्राद्ध करना चाहिए। इसलिए ब्राह्मणों को दोपहर के लिए भोजन का आमंत्रण दें।

शाम या रात के समय श्राद्ध का भोजन ना कराएं। साथ ही पितरों की कृपा पाने के लिए श्राद्ध करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें। आइए जानते हैं पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?

श्राद्ध कर्म करते समय इन बातों का रखें ध्यान :

श्राद्ध में अर्घ्य,पिण्ड और भोजन के लिए चांदी के बर्तनों का उपयोग करना अच्छा माना जाता है। श्राद्ध का भोजन चांदी या कांसे के बर्तन में खिलाएं। इनके अभाव में पत्तल का उपयोग कर सकते हैं।

केले के पत्ते और मिट्टी के बर्तन में श्राद्ध का भोजन नहीं परोसना चाहिए।

मान्यता है कि श्राद्ध कर्म के लिए गाय के घी,दूध या दही का इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं, अगर हाल ही में किसी गाय को बच्चा हुआ हो, तो उसके दूध का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

मान्यता है कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को मौन रहकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन की प्रशंसा नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध के लिए गंगाजल,दूध,शहद,दौहित्र, कुश और तिल का होना महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं और कुशा राक्षसों से बचाते हैं।

श्मशान,देवस्थान और अपवित्र स्थल पर श्राद्ध करना अच्छा नहीं माना गया है।

ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध का भोजन करते समय यदि कोई जरुरतमंद या भिखारी द्वार पर आ जाए, तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। इससे श्राद्ध कर्म का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसलिए उसे भी भोजन जरूर करवाएं।

श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को भोजन परोसते समय एक हाथ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस भोजन को राक्षस छीन लेते हैं। इसलिए भोजन परोसते समय दोनों हाथों का इस्तेमाल करें।

ब्राह्मणों के लिए क्रोध भाव में श्राद्ध का भोजन नहीं तैयार करना चाहिए और न ही अन्न को पैर से छूएं। इसके साथ ही भोजन बनाते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। दक्षिण दिशा में मुख करके भोजन न बनाएं।

श्राद्ध के दिन ब्राह्मण, जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन कराने के साथ गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों के लिए भोजन जरूर निकालें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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