पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्में लोगों का इस दशा में होता है भाग्योदय, बनते हैं धन प्राप्ति के योग…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को पूर्वा षाढ़ा नक्षत्र भी कहा जाता है।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के जातकों को बुद्धि और आत्मविश्वास दोनों प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली और सम्मानित व्यक्ति होते हैं, जिनका समाज में हर कोई अनुसरण करना चाहता है।

इस नक्षत्र का प्रतिनिधित्व शुक्र देवता करते हैं। ऐसे व्यक्ति को परिवार के सभी लोग मुखिया की भूमिका में देखते हैं। ऐसे जातकों में नेतृत्व क्षमता बचपन से ही होती है।

इन्हें अनुशासन में रहना पसंद है तथा दूसरों से भी अनुशासन की अपेक्षा करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मा जातक स्वभाव से चंचल एवं त्यागी होगा। इस नक्षत्र में जन्में जातक मनमोहक छवि और मीठा बोलनेवाले होते हैं।

इस नक्षत्र में जन्मी स्त्री सौम्य स्वभाव की होती हैं। दूसरों की मदद और दान करना उनके विशेष गुण है। इस नक्षत्र की महिलाएं अच्छी गृहिणी होती हैं।

इस नक्षत्र के व्यक्ति सभी क्षेत्रों में सफल रहते हैं, फिर भी चिकित्सा का क्षेत्र उनके लिए अच्छा होता है। ऐसे जातक प्रशासनिक क्षेत्रों में भी बेहद सफल होते हैं। इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में गहरी रुचि रखते हैं।

इस नक्षत्र के व्यक्ति माता-पिता की ओर से कोई लाभ प्राप्त नहीं करते, लेकिन भाई-बहनों से पूर्ण सहयोग और लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं।

विवाह में विलंब होने के बावजूद वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। इन जातकों की संतान प्रतिभाशाली और प्रतिष्ठा बढ़ानेवाली होती है। इस नक्षत्र के चारों चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।

प्रथम चरण इस चरण का स्वामी सूर्य है। इस चरण में जन्मा जातक मीठा बोलनेवाला एवं सुंदर होता है। ऐसा व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न और समर्थ होता है। मंगल की दशा में जातक का भाग्योदय होता है।

द्वितीय चरण इस चरण के स्वामी बुध देव हैं। बुध के प्रभाव के कारण

जातक वेद शास्त्रों का ज्ञाता होता है। सूर्य की दशा जातक के लिए स्वास्थ्यवर्धक होती है तथा मंगल की दशा, अंतर्दशा में जातक का भाग्योदय होता है। बुध की दशा में धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

तृतीय चरण इस चरण का स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्मा व्यक्ति क्रूर होगा। सूर्य की दशा जातक के लिए स्वास्थ्यवर्धक होगी तथा मंगल की दशा, अंतर्दशा में जातक का भाग्योदय होगा। बुध की दशा में धन प्राप्ति के योग बनेंगे।

चतुर्थ चरण इस चरण के स्वामी मंगल देव हैं। मंगल शुक्र देव के शत्रु एवं क्रूर ग्रह हैं। अत इस चरण में जन्में जातक की आयु अधिक नहीं होती। सूर्य की दशा मध्य फल देगी एवं मंगल की दशा में जातक का भाग्योदय होगा।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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