नवरात्रि में अखंड ज्योति क्यों जलाते हैं? जानें नियम…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

 शारदीय नवरात्रि को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

इस साल 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधन का विशेष महत्व है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस 9 दिनों में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-आराधना करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और भक्तों पर देवी भगवती का आशीर्वाद बना रहता है।

नवरात्रि के प्रतिपदा तिथि में मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन कलश स्थापना और ज्वारे भी बोए जाते हैं। आइए शारदीय नवरात्रि पर दीपक जलाने का महत्व, नियम और लाभ के बारे में जानते हैं?

अखंड ज्योति क्यों जलाया जाता है?

सनातन धर्म में शुभ कार्यों में दीपक प्रज्ज्वलित करना मंगलकारी माना गया है। विशेष पर्वों के दौरान सुबह-शाम होने वाली पूजा में दीपक जलाने की खास परंपरा है।

शारदीय नवरात्रि देवी भगवती की पूजा-आराधना के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।

इस दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए के लिए दीपक नवरात्रि के पहले दिन माता की चौकी के साथ कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाया जाता है और देवी दुर्गा की विधिवता पूजा आराधना की जाती है।

अखंड ज्योति जलाने के बाद दीपक को बुझने नहीं देना चाहिए। अखंड ज्योति को नवरात्रि के नौ दिनों तक पूरे 24 घंटे तक प्रज्ज्वलित करने का विधान है।

अखंड ज्योति का बुझ जाना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने से मां दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।

इस दीप का जलाए रखने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और साधक के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इसलिए नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को अखंड ज्योति जलाना अति शुभ माना जाता है।

अखंड दीपक जलाने के नियम :

अखंड ज्योति पीतल के दीपपात्र में प्रज्ज्वलित करना शुभ माना जाता है। अगर पीतल का दीपपात्र न हो, तो मिट्टी के दीपक में अखंड ज्योति जला सकते हैं।

अखंड ज्योति को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। दीपक जलाते समय मन में मां देवी का ध्यान करें और मनोकामना पू्र्ति के लिए प्रार्थना करें।

अखंड दीपक जलाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर घी न हो, तो तिल या सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अखंड ज्योति मां दुर्गा की प्रतिमा के दाईं ओर होना चाहिए, लेकिन तेल से प्रज्जवलित दीपक को माता रानी के बाईं ओर रखना चाहिए।

इसके अलावा अखंड ज्योति को बुझने से बचाने के लिए कांच के लैंप से ढककर रखना चाहिए और 9 दिनों तक अंखड ज्योति जलाने के बाद उसे फूंड मारकर नहीं बुझाना चाहिए। इसके बजाए दीपक को स्वयं बुझने देना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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