क्या है हैदरी मंजिल, जहां गांधी जयंती पर जा रहे रेल मंत्री; बापू से था खास कनेक्शन…

आज राष्ट्रपित महात्मा गांधी की 155वीं जयंती है।

गांधी जयंती के अवसर पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हैदरी मंजिल का दौरा करेंगे। बेलियाघाटा इलाके में स्थित हैदरी मंजिल को गांधी भवन के नाम से भी जाना जाता है।

इसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह वह स्थान है जब देश आजाद हो रहा था तो यहां महात्मा गांधी अगस्त 1947 में रुके थे। सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए बापू यहां कुछ सप्ताह तक रुके थे। उनके सम्मान में इसका नाम बदलकर गांधी भवन कर दिया गया।

इस जगह का मालिकाना हक दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्य हुसैना बंगाली के पास था। यहां महात्मा गांधी 13 अगस्त 1947 को आए थे और करीब 25 दिनों तक यहीं पर रुके थे।

स्वतंत्रता के दिन जब देश जश्न मना रहा था तब महात्मा गांधी ने सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए उपवास और प्रार्थना करने का विकल्प चुना था।

हैदरी मंजिल में बापू से मिलने के लिए राजनेताओं, छात्रों और बुद्धिजीवियों की भीड़ लगी रहती थी। महात्मा गांधी रू में स्थिति को शांत करने में कामयाब रहे, लेकिन 31 अगस्त को हिंसा फिर से भड़क उठी।

इसके कारण उन्हें स्थायी शांति लाने के लिए 1 सितंबर को अनिश्चितकालीन उपवास की घोषणा करनी पड़ी। स्थानीय नेताओं द्वारा उनके चरणों में अपने हथियार डालने के बाद 4 सितंबर को गांधी का उपवास समाप्त हो गया।

हैदरी मंजिल को तब से एक संग्रहालय में बदल दिया गया। यह कोलकाता में स्थित है। इस संग्रहालय में 1947 में यहां रहने के दौरान उनकी दुर्लभ तस्वीरें, सोदेपुर आश्रम में उनके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुएं, कलकत्ता और नोआखली में उथल-पुथल के दौरान पत्राचार के साथ वार्ता को प्रदर्शित किया गया है।

इस संग्रहालय में राज्य के अशांत इतिहास को दर्शाने वाली समाचार पत्रों की कतरनें, दंगाइयों द्वारा गांधी को सौंपी गई तलवारों को प्रदर्शित करने वाला कांच का केस और अहिंसक आंदोलनों को दर्शाने वाले इंटरैक्टिव सिस्टम और भित्तिचित्र भी प्रदर्शित किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त संग्रहालय की दीवारें विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बनाई गई 1947 की सांप्रदायिक हिंसा की पेंटिंग से सजी हुई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *