छत्तीसगढ़; धमतरी: युवा नेता आनंद पवार बांसपारा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने पहुंचे…

सैयद जावेद हुसैन, (सह संपादक), छत्तीसगढ़:

धमतरी- जय माँ विंध्यवासिनी महिला मंडल एवं समस्त वार्डवासियों द्वारा बांसपारा के नंदी चौक में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया जिसमें भागवत भूषण श्रीमूलक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज के कृपापात्र शिष्य पंडित वीरेंद्र वैष्णव द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया जा रहा है, जिसके तीसरे दिन विंध्यवासिनी बिलाई माता मंदिर समिति के अध्यक्ष युवा नेता आनंद पवार ने पहुँच कर कथारस पान किया।

कथा वाचक पंडित वीरेंद्र वैष्णव ने सृष्टि वर्षण, वराह अवतार, कर्दम चरित्र की कथाओं की व्याख्या करते हुए बताया कि ईश्वर ने कैसे अपनी माया से इस संसार की रचना की उन्होंने इस सृष्टि में जो कुछ भी बनाया सब अपनी जगह बिल्कुल सही और सटीक है, पाँच तत्वों से बने इस सम्पूर्ण जगत को ईश्वर तत्व ने ही एक करके रखा हुआ है, हम सब यहाँ एक कण के बराबर हैं और कुछ नही ये सब ईश्वर की माया है, जिसकी उत्पत्ति, पालन और संहार पर उनका ही नियंत्रण है।

युवा नेता आनंद पवार ने व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने उद्बोधन में कहा कि ईश्वर के बनाए हुए इस जगत में जब भी पाप और पुण्य के बीच का संतुलन बिगड़ने लगता है तब ईश्वर अवतार के रूप में आकर इसे ठीक करने का काम करते है, आज हम ईश्वर के कृष्णावतार को समर्पित ग्रंथ के माध्यम से उनकी लीलाओ का वर्णन सुन रहे है, जिसमें भगवान की भक्तों पर कृपा और उदारता की बहुत सी कथाओं का वर्णन है, इसका उदाहरण वह कथा है जब वे हस्तिनापुर जाते है और दुर्योधन उनके सामने छप्पन भोग प्रस्तुत करता है तो वे उसे अस्वीकार कर देते है और उसकी जगह विदुरानी के हाथों बने भोजन को स्वीकार करते है, वे बताते है कि तीन परिस्थितियों में भोजन किया जाता है। प्रभाव में, अभाव में, स्वभाव में और इन तीनों से अलग दुर्योधन केवल अपने अहंकार और वैभव का प्रदर्शन कर रहा होता है, वहीं विदुरानी के मन में उन्हें भोग लगाने का भाव तो होता है, लेकिन व्यवस्था नही, तब वे विदुरानी के पात्र में बचे अन्न के अंतिम दाने को दिव्य दृष्टि से देखते है और उसे अक्षय पात्र बना देते है और इस लीला के माध्यम से वे संदेश देते है कि भगवान केवल भाव के भूखे है।

इस दौरान जय माँ विंध्यवासिनी महिला मंडल के सदस्यों सहित वार्डवासियों और भगवत भक्तों ने कथा का रसपान किया।

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